कल्पना की कोई सीमा नहीं ...... मन सिर्फ सपनाता ही नहीं, ना ही विरोध करता है - प्रेम, मृत्यु, विकृति, श्रृंगार, अध्यात्म बात ए...
सामाजिक स्थिति और चिंतन - 4
समाज टकटकी लगाये देख रहा अपने दायरे को भीड़ विमुख भाव से कह रही - 'ऐसे ही जीना है - जियो !' ...................... इस ...
सामाजिक स्थिति और चिंतन - 3
झूठ .... एक के बाद एक झूठ का सिलसिला और फिर झूठ पुख्ता सच हो जाता है सवाल गलत से उठते ही नहीं सवाल तो कर्मठ विद्या...
सामाजिक स्थिति और चिंतन - 2
आज ....हमेशा कल हो जाता है - जो बीत जाता है बीता कल लौटता नहीं - आनेवाला कल आता नहीं आज की उठापटक में परिभाषाएं बदल जाती हैं पर...
सामाजिक स्थिति और चिंतन - (1)
जो झूठ बोलते हैं वे कसम ... अपने बच्चों की कसम बहुत जल्दी खाते हैं जो सच बोलते हैं,उनको अपने सच पर भरोसा होता है किसी भी यकीन के...
...... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (6)
अध्याय दर अध्याय हम निभाएंगे अपना उत्तरदायित्व पुकारते रहेंगे देश के हर कोने से अपनी मिटटी को पहचानो अपना कर्त्तव्य निभा...
...... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (5)
शहादत कोई भाषा नहीं कि तेरे मेरे की बात हो पर बात हो गई है .... हादसे शमशान से हो गए हैं उधर से गुजरना ज़रूरी तो नहीं .... जब...
...... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (4)
तलाश .... खोना,गुम होना ............होते जाना चीखना,चुप होना - यही परिवर्तन है रश्मि प्रभा जब शहर हमारा सोता है...(De...