स्मृति वर्ष-2007 में तय किये आपने नई उपलब्धियों के नए मुकाम , देकर प्रगतिशीलता को नूतन आयाम । वर्ष -2008 के आगमन पर , मेरी शुभकामना है कि...
हिन्दी चिट्ठाकार विश्लेषण -2007 (भाग-3)
बडे ढोल म पोल बड़ी , यही मुकद्दस बात ! जिसका दिल जितना बड़ा , वही "चकल्लस " गात !! नीरव की यह "वाटिका " देती है सन्देश !...
हिन्दी चिट्ठाकार विश्लेषण -2007 ( भाग -2 )
गूँज रहा है " रेडियो " " ई-मिरची " के संग ! "बाल किशन" का ब्लोग भी , खूब दिखाया रंग !! "शब्द लेख" ...
हिन्दी चिट्ठाकार विश्लेषण -2007
विश्लेषण- 2007 कुछ खट्टा - कुछ मीठा है , ब्लॉगजगत का हाल ! आओ तुम्हें सुनाएँ , कैसे बीता साल !! कहीं राड़- तकरार था , कहीं प्यार - इजहार ! ...
सर्दी के बहाने कुछ मतलब की बातें ग़ज़ल के माध्यम से
ओस के कतरे बदन को धो गए आशा , आंच दे कुछ सर्द मौसम हो गए आशा ! देखना धीरे से आना पास मेरे तुम , रेत के थे फर्श फिशलन हो गए आशा ! हो गयी इत...
जिसमें साहस विवेक और आत्मबल व्याप्त होता है , उसीको बेटिकट सफर का सौभाग्य प्राप्त होता है !
आज की युवा पीढी जिसे एम जनरेसन की संज्ञा दी जाती है ,जो नि:संदेह हमारे देश को प्रगति की राह पर ले जाने में पूरी तरह सक्षम है .मगर कुछ पुराने...
!! मोगैम्बो खुश हुआ !!
बिक गया स्वाभिमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ ! देश और सम्मान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !! ऐसी लड़ी है आंख पश्चिम से कि देखो खो गयी- मनमोह...
मज़हवी उन्माद और हम ......!
आये दिन कहीं -न - कहीं ऐसा सुनने को मिल ही जाता है , कि फलां जगह आतंकवादियों ने ब्लास्ट करके जान माल की हानि करदी । भाई मेरे , यदि मज़हब को ढ...
करे जारी सभी फतबा उसी पर क्यों , कि जिसके हाँथ में खंज़र नहीं दिखता ?
एक गजल तसलीमा के बहाने प्रसंगवश - कहीं आँगन , कहीं छप्पर नहीं दिखता । कोई सदभाव सा मंज़र नहीं दिखता ।। यहाँ हैवानियत का है घना कोहरा - कि ज...
आदाब से अदब तक, यही है लखनऊ मेरी जान !
लोग कहते हैं कि जहाँ अदब करवट ले वही अवध है , यानी वही लखनऊ है ....सूरज में एक अलग प्रकार की लाली महसूस करता हुआ शहर.....फिजाओं में तहजीब क...
पहले अस्पृश्य पुन: अछूत कालांतर में हरिजन और अब वह दलित हो गया है..... !
विगत दिनों मुझे लगभग एक साल बाद अपने गाँव जाने का सुयोग प्राप्त हुआ , मेरे घर से थोडी ही दूरी पर है डोमवा घरारी । उस गाँव में डोम जाति के लो...
हम फकीरों की गली में झांकिए , सच बयानी को बुरा मत मानिए !
चार हिन्दी की गज़लें - (एक ) शब्द-शब्द अनमोल परिंदे ! सुन्दर बोली बोल परिंदे !! जीवन -जीवन भूलभुलैया - दुनिया गोलम- गोल परिंदे !! छोटा म...
दीपावली, जुआ, संस्कार और सरोकार !
हमारे एक मित्र हैं रामाकांत पांडे , दिल्ली में रहते हैं , पेशे से पुरोहित हैं . धोती -कुर्ता और ललाट पर त्रिपुंड चंदन . बातें करेंगे तो विल...
फटी लंगोटी झोपड़पट्टी है लेकिन , जीवन का उल्लास हमारे पास मियाँ !
पिछले दिनों मियाँ मुसर्रफ के द्वारा पाकिस्तान में आपात स्थिति लगाने की खूब चर्चा रही . लोगों ने मियाँ मुसर्रफ के किसी भी हद तक जाने की बात क...
जब मैं मर गया उस दिन !
पिछले इतवार की शाम , मेरी जुवां सेयकायक निकला - हे राम ! दुनिया के ग़मों से गुरेज होकर , मेरा मन पूर्णत: निश्तेज़ होकर, मेरे अस्तित्व को शू...
....न उसने कुछ कहा, न मैंने पहल की !
किसी शायर ने ठीक ही कहा है- " क्यों जिन्दगी में अपने जीने के अंदाज़ छोड़ दें, क्या है हमारे पास इस अंदाज़ के सिवा।" दरअसल जिन्दगी ...
बीडी जलाइले जिगर से , जिगर मा बड़ी आग है !
बीच वहस में. . . .. परसों इतवार का दिन था, सोचा कि कोई मित्र मिल जाये तो सिनेमा देखने चलें, पर शाम तक कोई मित्र ऐसा नही मिला जिसके साथ जाया ...
एक कतरा जिन्दगी जो रह गयी है, घोल दे सब गंदगी जो रह गयी है ।
गज़ल - एक कतरा जिन्दगी जो रह गयी है , घोल दे सब गंदगी जो रह गयी है। भीख देगा कौन तुझको, ये बताना- तुझमें ये आवारगी जो रह गयी है ? आंख से आँस...
बैल नही हो सकता आदमी कभी भी
एक और कविता गाँव को समर्पित -- आदमी कुत्ता हो सकता है घोडा भी, गदहा भी और बैल भी लेकिन बैल- नही हो सकता आदमी कभी भी। इतिहासकारों ने लिखा ...
वरदायनी नव देवियों का साकार रुप होती हैं ये कन्याएं , गुप्ता जी ने महसूस किया पहली वार
गुप्ता जी और उनकी धर्मपत्नी पूरे नौ दिनों तक उपवास रखकर माता दूर्गा की याचना करते और हवं के पश्चात् कन्या कुमारियों को जिमाकर हीं अन्न ग्रहण...
सचमुच कितना महत्वपूर्ण है शब्द ?
बच्चों के लिए ककहरा नौजवानों के लिए भूख और रोटी के बीच का संघर्ष , बूढों- बुजुर्गों के लिए - पिछले अनुभवों का सार और, नपुन्सकों के लिए शक्ति...