आज मेरी लहरों पर अर्चना चावजी की आवाज़ है , आवाज़ में बंधी है काबुलीवाले की मिन्नी - नहीं पहचाना , अरे हमारी रश्मि प्रभा , जो मुझे यहाँ लेकर आती हैं ... आज उन्हें लेकर आई हैं हमारी अर्चना जी , बातों की शगल रहने देते हैं और सुनते हैं अर्चना जी को .





नमस्कार परिकल्पना ब्लॉगोत्सव २०११ मे अपने सभी श्रोताओं का स्वागत करती हूँ मै अर्चना चावजी ।आईये आज आपको मिलवाउं मेरी बचपन की सहेली "मिन्नी"से--

प्रसाद कुटी की सबसे छोटी बेटी ! हाँ अब तो वही है सबसे छोटी जबसे वह नहीं रहा - उसका छोटा भाई संजू . ६ भाई बहनों की दुनिया थी , संस्कारों की , उचित व्यवहार की सुबह होती थी . सुबह होते पापा के कमरे में सब इकट्ठे होते , कभी भजन , कभी कोई खेल , तथाकथित अच्छी सीख - 'कुछ भी करो तो सोचो , ऐसा सामनेवाला करेगा तो कैसा लगेगा !' सामनेवाले का ख्याल करते करते बीच से संजू चला गया , अच्छाई की बलिवेदी पर वह गुम हो गया . ओह ,मैं नाम तो बता दूँ - आपके बीच रश्मि प्रभा के नाम से जानी जानेवाली इस लड़की की शुद्ध पहचान इसके घर के नाम से है - 'मिन्नी' , वो भी 'काबुलीवाले की मिन्नी '

देखा होगा आपने भी घेरवाली फ्रॉक में अनवरत बोलनेवाली रविंद्रनाथ टैगोर की मिन्नी को - ' बाबूजी बाबूजी , ये जो भोला है न बाबूजी , वो चिड़िया को चुरिया बोलता है बाबूजी ' .... और कहकर खुद ठहाके लगाती . काबुलीवाले की मिन्नी बड़ी होकर हमें मिल जाएगी , ऐसा कहाँ सोचा था हमने , पर मिली - रश्मि प्रभा के रूप में . कहानी हो, कविता हो , कोई भी बात हो ... गंभीरता के आवरण से सर निकालकर कहती है - 'तब तू बना दे हम सबको परी ' और काबुलीवाले की प्रतीक्षा भी नहीं करती, खुद जादुई छड़ी घुमा देती है ...
ख्यालों का वादों का पिटारा लिए चलती है , कुछ इस तरह -


ये बनाया मैंने बांहों का घेरा
दुआओं का घेरा
खिलखिलाती नदियों की कलकल का घेरा
मींच ली हैं मैंने अपनी आँखें
कुछ नहीं दिख रहा
कौन आया कौन आया
अले ये तो मेली ज़िन्दगी है ...

ये है रोटी , ये है दाल
ये है सब्जी और मुर्गे की टांग
साथ में मस्त गाजर का हलवा
बन गया कौर
मींच ली हैं आँखें
कौन खाया कौन खाया
बोलो बोलो

नहीं आई हँसी
तो करते हैं अट्टा पट्टा
हाथ बढ़ाओ .....
ये रही गुदगुदी
कौन हंसा कौन हंसा
बोलो बोलो बोलो बोलो
जल्दी बोलो
मींच ली हैं आँखें मैंने
गले लग जाओ मेरे
और ये कौर हुआ - गुटुक !

बच्चों की कौन कहे , हर उम्र मिन्नी के आगे बच्चा बन जाता है , क्योंकि मिन्नी आँखें टिमटिमाती विश्वास की पारले गोली सबको देती है -

मैं
जागरण का गीत हूँ
जागो
और फिर से अपने क़दमों पर भरोसा करो
उनकी क्षमताएं जानो
और आकाश को मुठ्ठी में भर लो .....

एहसासों के पंख पसार सबकी आँखों में एक प्याली ख्वाब भर जाती है -

एक प्याली ख्वाब
थोडी मीठी
थोडी नमकीन
जब भी पीती हूँ
अन्दर में सप्तसुरों के राग बजते हैं
ढोलक की थाप पर
घुंघरू मचलते हैं
ख़्वाबों की सुनहरी धरती पर
ख़्वाबों का परिधान पहने
महावर रचे पांव थिरकते हैं
एक प्याली ख्वाब....
सौ ख़्वाबों की रंगीनियत दे जाते है !

सब ख्वाब देखने लगते हैं , वक़्त सीटियाँ बजाता भागने लगता है . कहती है मिन्नी कि दर्द, धोखा , परेशानी, अभाव तो पूरी ज़िन्दगी का लेखा जोखा है, अब इसमें से कुछ समय , चाहो तो थोड़ा ज्यादा तुम निकाल सकते हो और खुले पार्क में खुलकर हँस सकते हो . पूरी सोच बदल ख़्वाबों की रसोई से झांककर बोलती है-

गोल-गोल रोटियों पर
आज एक नज़्म लिखी है
दाल में ख़्वाबों का तड़का लगा
सब्जी में ख्वाहिशों का नमक मिलाया है
खाकर देखो तो
ज़िन्दगी क्या कहती है

मिन्नी बहुत सीधीसादी है
बड़े छोटे हैं उसके सपने
जैसे किसी नन्हें बच्चे को नहला धुलाकर
काला टीका लगाकर पालने में बिठा देते हैं
बिल्कुल वैसे ही ...
वैसे ही खिले-खिले
वैसे ही मासूम.......... और उतने ही मासूम इरादों के संग वह सबसे मिलती है और झूम के कहती है -

मेरे पास एक इन्द्रधनुष है,
चलोगे धरती से आकाश पर?
रंग सात हैं,
जिस रंग पर बैठो
नीला आकाश मुठ्ठी में होगा,
सितारे टिमटिमाकर स्वागत करेंगे........
बोलो ना,
चलोगे आकाश पर?
इन्द्रधनुष से उतरकर
बादलों पर बैठ जाना
वे किसी ऊँचे पर्वत की चोटी पर उतार देंगे,
वहां से दुनिया को देखना.......
बोलो ना,
बादलों की पालकी पर चलना है?
बोलो ना,
मेरे साथ खेलना है????????
अर्चना चावजी
=================================================================== अर्चना चाव जी   की मनोरम प्रस्तुतियों के बाद आइए अब आपको ले चलते हैं हम ब्लॉगोत्सव (द्वितीय ) के सातवें दिन के प्रथम चरण के कार्यक्रमों की ओर जहां : कहे कबीर के अंतर्गत रंजना रंजू भाटिया का सृजन : दिया कबीरा रोये मजाज़ जन्म शती पर विशेष : यह मेरा चमन है, मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ… राजेश शर्मा की कविता : शब्द गूम जाएंगे, रचना न होगा कविता और डा. सुभाष राय का ललित निबंध :  एक सपना है सौंदर्य... कहीं जाईयेगा मत हम उपस्थित होंगे कुछ और महत्वपूर्ण पोस्ट के साथ अगले चरण में किन्तु एक अल्प विराम के बाद .....

19 comments:

  1. अर्चना जी की आवाज में ...रश्मि जी की रचनाओं को सुनना अच्‍छा लगा ...इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

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  2. बहुत ही प्रभावशाली परिचय पोस्ट है... जिसमे उम्दा रचनाओं का संकलन इसे ख़ास बना रहा है...
    अर्चना जी की आवाज में और भी खुबसूरत बन पडा है....
    बधाई....
    सादर....

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  3. अर्चना जी के स्वर में जादू है और रश्मि जी के शब्दों में... यह जादू दोहरा हो रहा है...

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  4. अरचना जी की आवाज और रश्मि जी के एहसासों के पंख ,हमे भी ऊँची उडान पर ले गये। अर्चना जी को सुना तो बहुत बार लेकिन तस्वीर आज देखी। अर्चना जी को व रश्मि जी को शुभकामनायें। बहुत अच्छा प्रयास है आपका।

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  5. अर्चना जी को व रश्मि जी को शुभकामनायें।

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  6. रश्मिजी के भाव.. अर्चनाजी की मधुर आवाज़ .. दोनो ही खूबसूरत ... लताजी के अर्थपूर्ण गीत ने मन मोह लिया..

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  7. @रश्मि जी ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे इन रचनाओं को पढ़ने का मौका मिला..
    आप सभी का आभार ..इसे समय देकर सुनने के लिए....

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  8. अर्चना जी के माध्यम से मिन्नी से मिलना और रचनाओं को सुनना अच्छा लगा....

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  9. बहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती!

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  10. प्यारी सी दिलकश आवाज में जानना अच्छा लगा ब्लॉग जगत की एक अजीम शख्सियत से ....

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