कितना बड़ा है ये ब्लॉग का मेला ...... कितनी दुकानें , कहीं नज़्म, कहीं गीत , कहीं ग़ज़ल, कहीं क्षणिकाएं, कहीं बड़ी कहानी, कहीं छोटी कहानी, कहीं राजनीति, कहीं समीक्षा .......... ओर - अंत नहीं . चलते चलते पाँव दुःख जाते हैं , पर कुछ पा लेने का लोभ चलता जाता है.... आज की यात्रा में मुझे मिली हैं - शबनम खान (http://khanshabnam.blogspot.com/) . कहती हैं ,
लिखने का शौक है। वो सब लिखती हूँ जो ग़लत लगता है। अच्छी बातों को भी खुलकर बोलती हूँ। पत्रकार बनना चाहती हूँ। आते-जाते जो भी सही-ग़लत महसूस करती हूँ वो लिख देती हूँ.... सच है , जब लक्ष्य सामने होता है तो पहले डर लगता है और आदमी खुद से बातें करता है .... फिर हर कशमकश के बाद वह अपने मकसदों की रास थाम आगे बढ़ता है
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तब मैं डर सी जाती हूँ
किसी बात पर बिगङना तेरा
कभी यूँ ही ख़ामोश हो जाना
किस्मत को अपनी कोसते रहना
कुछ कङवी यादों को भूलने के लिए तङप उठना
ऐसे ही जब तू निराश हो जाता है
तब मैं डर सी जाती हूँ
किसी दिन तेरा परेशान होना
कभी तेरा किसी बात पर रुठ जाना
खुदमें कमियों को तलाशते रहना
कुछ रिश्तों पर तोहमतें लगाना
ऐसे ही जब तू गुस्सा हो जाता है
तब मैं डर सी जाती हूँ
किसी बात पर तेरी ज़ुबान लङखङाना
दबी हुई आवाज़ में तेरा रोना
कभी तुझे तुझ से ही हारते देखना
टूट रहे तेरे सपनों की आवाज़े सुनना
ऐसे ही जब तू ज़िन्दगी से हार जाता है
तब मैं डर सी जाती हूँ
किसी दिन हाथ पकङके मेरा
मेरी आँखों में आँखें डालना तेरा
फिर मुझसे बार बार पूछना तेरा
“क्यूँ डर लगता है तुम्हें इतना?”
ऐसे ही जब तू सवाल पूछता है
तब मैं डर सी जाती हूँ
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कश-म-कश
कश-म-कश है मन में
चल रही है हर पल
खुद से पूछती हूँ सवाल कुछ
जानना चाहती हूँ खुद को
कौन हूँ मैं क्या मक़सद है मेरा
ज़िन्दगी को कहा ले जा रही हूँ
अपनी उम्मीदें पूरी कर रही हूँ या
अपनों को दिलासा दे रही हूँ
ठहर सी गई है ज़िन्दगी मेरी
कुछ फैसलों की ज़रुरत है अब
क्या करुँ कौन सी राह चुनु
जवाब ये ढूँढ रही हूँ
कश-म-कश है मन में
चल रही है हर पल
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मेरी तलाश मेरा मक़सद
हर रास्ता नापा
मन्ज़िल को तलाशना मक़सद था
हर मुश्किल झेली
ज़िन्दग़ी से जीतना मक़सद था
हर बुराई का रास्ता रोका
न्याय को तलाशना मक़सद था
हर अच्छाई का साथ दिया
विश्वास टूटे न कभी मक़सद था
हर अंधेरे को झेला
उजाले को तलाशना मक़सद था
अनुभव पाना मक़सद था
हर जलती आग को बुझाया
बचे निशां तलाशना मक़सद था
हर खूबसूरती को सराहा
उम्मीदों की लौ को जलाना मक़सद था....
शबनम खान
http://khanshabnam.blogspot.com/
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शबनम खान
http://khanshabnam.blogspot.com/
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अब आईये कार्यक्रम के दूसरे चरण में प्रवेश करते हैं और लेते हैं व्यंग्य के साथ कुछ उत्कृष्ट कविताओं का आनंद :
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....................उत्सव में कल अवकाश है, मिलते हैं परसों यानी सोमवार को ठीक ११ बजे परिकल्पना पर,तबतक के लिए शुभ विदा !
परिकल्पना में शबनम खान जी की 3 बहुत बढ़िया रचनाओं के माध्यम से परिचय कराने के लिए बहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंइस तरह ब्लॉग की दुनिया के माध्यम से दूर दूर बैठे लोगों का एक पारिवारिक सदस्य के तरह एक-दूजे से मिलना-जुलना बहुत अच्छा लगता है.
रशिम जी आप हमेशा एक मोती ही लाती हैं..समुंदर से ढूंढ़ कर ...शबनम जी को सुनकर अच्छा लगा ...
जवाब देंहटाएंशबनम जी की कविताएँ बहुत अच्छी हैं.
जवाब देंहटाएंइस मंच के माध्यम से उनके ब्लॉग पर भी जाना हुआ.
बहुत बहुत धन्यवाद उनकी लेखनी से रु ब रु करने के लिये.
सादर
मैं काफी समय से शबनम जी को पढता रहा हूं। काफी अच्छा लिखती हैं वे।
जवाब देंहटाएं------
जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!
मैं काफी समय से शबनम जी को पढता रहा हूं। काफी अच्छा लिखती हैं वे।
जवाब देंहटाएं------
जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!
हर अंधेरे को झेला
जवाब देंहटाएंउजाले को तलाशना मक़सद था
बहुत खूब कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
बहुत सुन्दर और चिंतन से भरपूर पोस्ट , बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पढ़कर
जवाब देंहटाएंहर परिस्तिथि का सामना किया
जवाब देंहटाएंअनुभव पाना मक़सद था
हर जलती आग को बुझाया
बचे निशां तलाशना मक़सद था
हर खूबसूरती को सराहा
उम्मीदों की लौ को जलाना मक़सद था....
क्या बात है, सारगर्भित अभिव्यक्ति !
क्या बात है, बहुत खूब,बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंसचमुच अत्यंत सार्थक प्रस्तुति है आज की, आभार आप सभी का !
जवाब देंहटाएंशबनम के सवालात बड़े उम्दा हैं....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएं...
सादर..
आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया.... बहुत खुशी हुई कि आप सबने मेरी रचनाओं को सराहा.... उम्र के इस दौर में मुझे अधिक से अधिक प्रोत्साहन की जरूरत महसूस होती है... और आप लोगो की वजह से मुझे अपनी ये जरूरत पूरी होती दिख रही है....
जवाब देंहटाएंएक बार फिर तहे दिल से शुक्रिया... :)
आपका डर जाने का अंदाज़ काफी अच्छा है शबनम जी....
जवाब देंहटाएंडर, कशमकश, तलाश, मक़सद और उम्मीद... सभी कविताओं में जीवन से जुड़े सभी पहलू दिखाई दिए...
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