भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है
हो गयी नंगी सियासत , वजह क्या है ?

मछलियों को श्वेत बगुलों की तरफ से -
मिल रही क्या खूब दावत , वजह क्या है ?

राजपथ पर लड़ रहे हैं भेडिये सब -
आम -जन की जान आफत , वजह क्या है ?

वीर योद्धाओं के पावन मुल्क में अब -
खो गयी मर्दों की ताक़त , वजह क्या है ?

आजकल बेटों को अपने बाप की भी -
कड़वी लगती है नसीहत , वजह क्या है ?

यूँ ग़ैर की करते तरफदारी '' प्रभात''
क्यों नहीं अपनों की चाहत , वजह क्या है ?

() रवीन्द्र प्रभात

(कॉपी राइट सुरक्षित )

8 comments:

  1. ऐसा क्यों हुआ , कैसे हुआ , कब हुआ , सवाल है उलझा हुआ... कुछ ऐसा ही सवाल मेरे बेटे ने किया था तब एक कविता ने जन्म लिया था ... याद आ गई , अब उसे शीघ्र ही पोस्ट करूँगी.

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  2. प्रिय रवीन्द्र जी,
    एक बार फिर वेहद सुंदर और सामयिक प्रस्तुति हेतु बधाईयाँ!

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  3. यूँ ग़ैर की करते तरफदारी '' प्रभात''
    क्यों नहीं अपनों की चाहत , वजह क्या है ?

    बहुत अच्छा है हुज़ूर. पते की बात कह गए आप.

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  4. आपके प्रश्न चिंतन का विषय है।
    दीपक भारतदीप

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  5. वजह बस इतनी सी है कि सब गुमनामी के अंधेरों की तरफ अग्रसर है , स्थिति दुखद नहीं जानलेवा है

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  6. वेहद सुंदर और सामयिक प्रस्तुति हेतु बधाईयाँ!

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  7. आपने सबकुछ कह दिया और पूछ रहे हैं वजह क्या है ?
    इस पर मैं यही कहूंगी क्या बात है?

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  8. बहुत खूब प्रभात जी,
    अच्छी लगी आपकी ग़ज़ल !

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