चलिए अब मुंबई हमलों से उबरकर आगे बढ़ते हैं और नजर दौडाते हैं भारतीय संस्कृति की आत्मा यानी लोकरंग की तरफ़ । कहा गया है, कि लोकरंग भारतीय संस...
वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल ( भाग - 1 )
वर्ष -2००८ में हिन्दी चिट्ठा जगत के लिए सबसे बड़ी बात यह रही कि इस दौरान अनेक सार्थक और विषयपरक ब्लॉग की शाब्दिक ताकत का अंदाजा हुआ । अनेक ब...
आलोचनाओं को सकारात्मक भाव से लेना चाहिए !
कोई करे न करे हम जरूर देश के टुकङे कर देंगे यह पोस्ट मिहिरभोज ने लोखा है तत्त्व चर्चा में - ये एक ब्लोग पोस्ट है ...संभवताया लिखने वाली भा...
आतंक पढाये मुल्ला , चले कत्ल की राह !
आतंक पढाये मुल्ला , चले कत्ल की राह । जेहादी के नाम पे , पाक हुआ गुमराह । । बारूदों के ढेर पे , बैठा पाकिस्तान । खुदा करे ऐस...
कौन बचाएगा यहाँ पांचाली की लाज ?
कान्हा - कान्हा ढूँढती , ताक- झाँक के आज । कौन बचाएगा यहाँ, पांचाली की लाज । । गिद्ध - गोमायु- बाज में, राम-नाम की होड़ । मरघट-मरघट घूमते...
उसे नही मालूम कि क्या है आतंकवाद ?
११/२६ : एक शब्द चित्र बारूदों के बीच जलते हुए अपने परिवार को चीखते हुए अपने पिता/ कराहती हुयी अपनी माँ को जब देखा होगा वह मासूम मोशे तो स...
विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व ज्यादा प्रासंगिक !
कहा गया है कि कार्यों पर विचारों का प्रभुत्व प्रासंगिक नही होता , प्रासंगिक होता है कि विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व बनाया जाए । किसी भी क...
आपके पसंदीदा 25 चिट्ठे
तुलसी का पत्ता क्या बड़ा क्या छोटा ? आज जिसप्रकार हिन्दी के चिट्ठाकार अपने लघु प्रयास से प्रभामंडल बनाने में सफल हो रहे हैं, वह भी साधन और स...
परिकल्पना पर फ़िर इसबार हिन्दी चिट्ठाकार विश्लेषण -२००८ नए रूप में ...!
सुझाव आमंत्रित- ravindra.prabhat@gmail.com
नेता शिरोमणी श्री राम लाल जी का चुनावी घोषणा - पत्र
आया हूँ तेरे द्वारे, तू दे-दे मुझको प्यारे, वोटों की झोली दे-दे, या खोखा-खोली दे-दे, मेरा ईमान ले-ले , अपना ईनाम दे-दे, अल्लाह के नाम दे या...
चुनाव जब भी आता है दोस्त !
चुनाव जब भी आता है दोस्त ! सजते हैं वन्दनवार हमारे भी द्वार पर और हम- माटी के लोथडे की मानिंद खड़े हो जाते हैं भावुकता की चाक पर करते हैं बस...
लौटा है शीत जब से गाँव
प्रीति भई बावरी , देख घटा सांवरी , है धरती पे उसके न पाँव , लौटा है शीत जब से गाँव । सुरमई उजालों में चुम्बन ले घासों को , बेंध रही हौले से...
अर्थ -वैभव व् समृद्धि की परिपूर्णता का परिचायक पर्व दीपावली शुभ हो !
आईये हम सब मिलकर दीपावली का त्यौहार कुछ इस तरह मनाते हैं,कि दीपावली के प्रेरक प्रकाश से हमारा आँगन और हृदय दोनों आलोकित हो उठें। हमारी ईर्ष...
इश्वर इन्हें सद्बुद्धि दे ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं..!
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा है, की – “ व्यक्ति जिसका अन्तर-मन प्रशांत हो, कभी भी सच्चे मायनों में हिंसा नहीं अपना सकता. मुझे उम्मीद है क...
क्या इतना संवेदनहीन हो गया है हमारा समाज ?
नोएडा के चर्चित आरुषी -हेमराज हत्याकांड को हुए तीन सप्ताह से ज्यादा हो चुके हैं और गुत्थी सुलझती दिखाई ही नही दे रही है , हर कोई अपनी डफली...
एक ऐसी किताब जिसे पढ़ने के बाद आप वेचैन हो जायेंगे एक नए समाज की परिकल्पना के लिए !
आज लगभग एक सप्ताह बाद नेट पर लौटा हूँ , बिगत एक सप्ताह ऐसी जगहों पर व्यतीत हुआ जहाँ चाह कर भी नेट पर आना संभव नही हो पाया । खैर इस एक सप्ताह...
खेल खेल सा खेल खिलाड़ी !
खेल खेल सा खेल खिलाड़ी, सबसे रख तू मेल खिलाड़ी ! नियम बने हैं बाती- भाँति, खेल है दीपक, तेल खिलाड़ी ! बन्दर के हांथों में मत दे, मीठे-...
ग़ज़ल: अब न हो शकुनी सफल हर दाव में ...!
भर दे जो रसधार दिल के घाव में , फ़िर वही घूँघरू बंधे इस पाँव में ! द्रौपदी बेवस खड़ी कहती है ये - अब न हो शकुनी सफल हर दाव में ! बर्तनों की बा...
ग़ज़ल: घर को ही कश्मीर बना !
कैनवस पर अब चीड़ बना , घर को ही कश्मीर बना । सत्ता के दरवाजे पर ना - बगुले की तसवीर बना । झूठ-सांच में रक्खा क्या - मेहनत कर तकदीर बना । रो...
एक मुलाक़ात , उडन तश्तरी के साथ ....!
कल मेरे शहर में थे समीर भाई , जी हाँ वही समीर लाल जी जिनकी "उडन तश्तरी " के दीदार के लिए वेचैन रहते हैं हिन्दी के कतिपय ब्लोगर । ...
स्वयं की पहचान, स्वयं का सम्मान, कर्म- योग का ध्यान है गीता का ज्ञान !
कल एक समाचार चैनल पर यह बार-बार प्रदर्शित किया जा रहा था, कि ईराक में तैनात ब्रिटिश सैनिकों को गीता का पाठ पढाया जा रहा है , उन्हें जीवन और ...
कुछ मतलब की बातें शराब के बहाने, ग़ज़ल के माध्यम से ...!
कहते हैं शराब, लोग या तो ग़म को भूलने या फिर ख़ुशी मनाने के लिए पीते हैं।वैसे सच तो यह है कि पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए। शराब के सन्द...
तंग चादर है जिसकी वही , सो रहा तानकर रात में ....!
फोटो : दैनिक भाष्कर से साभार हादसे दर -ब - दर रात में , आप हैं बेखबर रात में । दिन में रिश्वत निगल जो गया - बन गया नामवर रात में । ...
डोन्ट बरी ! फूड और पोआईजन दोनों हो जायेंगे सस्ते ....!
कल दफ्तर से लौटा, निगाहें दौड़ाई ,हमारा तोताराम केवल एक ही रट लगा रहा था-"राम-नाम की लूट है लूट सकै सो लूट.........!" कुछ भी समझ न...