अहा, मन पवित्र हो गया दोनों सुर साधिकाओं को सुनकर .....!
पहला दिन मध्यांतर के बाद-
कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही हैं कवयित्री रश्मि प्रभा प्रख्यात चित्रकार श्री इमरोज से बातचीत करके. प्रेम के इस उत्सव में प्रेमपरक चर्चा हेतु चलिए चलते हैं रश्मि प्रभा के साथ अमृता की प्रणय कथा को प्राणवायु देने वाले व्यक्तित्व इमरोज के पास - ( किलिक करें)
()इमरोज के दो रेखाचित्र (उत्सव हेतु विशेषरूप से भेजे गए)
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()इमरोज के प्रति रश्मि प्रभा की अभिव्यक्ति
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उत्सव जारी है , मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद यानी एक बजे पुन: परिकल्पना पर .
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प्यार के दो स्तम्भ और उनके सन्दर्भ के साथ मेरी यात्रा .......
जवाब देंहटाएंमैंने माना - ख्वाब सच होते हैं.
ब्लॉगोत्सव के आगाज़ की शुभकामनांए.
जवाब देंहटाएंइमरोज जी के दो चित्र .......दोनों की अलग अलग भाव-मुद्राएँ ........और एकदम विपरीत भाव
जवाब देंहटाएंसिक्के के दोनों पहलुओं का सफलतम चित्रण
दोनों भावों को कविता में पिरोने का दिल कर रहा है
कहीं बहुत गहरी छाप छोड़ गये हैं ये
इन्हें प्रस्तुत करने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद देती हूँ
इमरोज जी को प्रस्तुत कर अपने तो शमां ही बांध दिया..हार्दिक शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंअत्यन्त मनमोहक शुरुआत ! इमरोज जी से रश्मि जी की बातचीत ने तो मुग्ध कर दिया ! रश्मि की भाव-भरी कविता भी लाजवाब है ! आभार ।
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी की इमरोज जी से बातचीत ...उनके सपनों का पूरा होना ...उनके माध्यम से हमारा भी सपना पूरा हुआ अमृता के साथी इमरोज़ से मिलना ...उत्सव सफल हुआ ही ...!!
जवाब देंहटाएंभाव विभोर हो गए हम तो...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंनीरज