यह है शांत जलराशि
इसमें आप कंकड़ी फेंकोगे तो -
केंद्र विन्दु से वर्तुलाकार अनेक तरंगे उत्पन्न होने लगेगी ....और ये तरंगें ही बता पाएंगी कि जलराशि को उद्वेलित करने वाली , उस कंकड़ी की गति और उसका घनत्व कितना तीब्र और सघन है !
यही हिंदी चिट्ठाकारी के साथ भी है -
आप जब रचनात्मक पहल करने के उद्देश्य से आगे बढ़ेंगे तो खुद-ब-खुद समझ जायेंगे कि आपमें रागात्मक बोध कितना है और आप अपनी रचनाओं से पाठक को कितना बांधते हैं यानी कि आपकी वैचारिक उष्मा का स्तर क्या है ?
बस यही समझना है और अन्य सभी चिट्ठाकारों को यही समझाना है , हम खुद अंग्रेजी चिट्ठों कि तरह संपन्नता की श्रेणी में आ जायेंगे यानी व्यस्क हो जायेंगे ...!
प्रमुख चिट्ठाकार अविनाश वाचस्पति का कहना है कि हिंदी चिट्ठाकारी की ताकत को कम करके आंकना गलत है .....विगत दिनों लोकसंघर्ष पत्रिका के दिल्ली स्थित व्यूरो चीफ ने उनसे परिकल्पना ब्लॉग उत्सव के परिप्रेक्ष्य में हिंदी चिट्ठाकारी की दिशा-दशा पर खुलकर बातचीत की ........आईये चलते हैं कार्यक्रम्स्थल पर इस साक्षात्कार के अंश को आत्मसात करने के लिए.....यहाँ किलिक करें
जारी है उत्सव मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद
तारीफें जितनी की जाए कम है ...इस आयोजन से निश्चय ही ब्लॉग जगत धन्य हो गया है ....इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ने को मिल रही है की टिपण्णी करना हम भूल जा रहे हैं ....आनंद आ गया इस उत्सव में शामिल होकर !
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