ये मैं नहीं कह रहा हूँ ...ये कहना है सद्भावना पत्रिका के संपादक गिरीश पंकज का ....हिंदी चिट्ठाकारिता के संबंध में खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं आज सुप्रसिद्ध रचनाकार/चिट्ठाकार गिरीश पंकज ....विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ किलिक करें"चिट्ठाकारिता ने हमें एक नया सामाजिक आस्वादन दिया. अगर यही रफ़्तार रही तो आने वाले समय में अच्छे लेखको को समाज में आदर भी मिलेगा और इनके कारण नए ब्लागरों में भी रचनात्मकता का नूतन भावोदय होगा. यह अच्छे संकेत है कि हमारे ही बीच के कुछ लोग चिट्ठाकारिता की दिशा और दशा पर विमर्श कर रहे है. इन चर्चाओं के माध्यम से ही ब्लागिंग की खराब-सी होती दशा को सुधारा जा सकता है. इन सारे प्रयासों से कुछ बेहतर दिशा मिल सकेगी........!"
जारी है उत्सव मिलते हैं एक अल्पविराम के बाद
....आनंद आ गया इस उत्सव में शामिल होकर !
जवाब देंहटाएंप्रयास सराहनीय है !
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