मैं समय हूँ !
मैंने हर प्रकार की भौगोलिक परिस्थितियाँ देखी है । मैंने धूप में झुलसती फसलों को भी देखा है और सावनी फुहार को भी ...मैंने शीत में कुहासों को धीरे से झुककर घास को चुम्बन लेते भी देखा है और पुरवा हवा की शीतलता को भी ....मगर आज इस झुलसाने वाली गर्मी में पहाड़ों की रानी के आँचल की छाया में चंद पलों के लिए विश्राम की इच्छा महसूस हो रही है ।
तो आईये हमें पहाड़ों की गोद में चंद पलों के लिए विश्राम का अवसर प्रदान कर रही हैं रंजना भाटिया
उत्सव जारी है मिलते हैं एक अल्प विराम केबाद यानी ०३ बजे परिकल्पना पर
इस गर्मी में आप पहाड़ों की यात्रा पर ले गये, आभार.
जवाब देंहटाएंरोचक वृतांत..ऐसा लगा हम भी यात्रा कर रहे हैं