हमारे देश में गीत की काफी प्राचीन परम्परा रही है. अनुप्रास और उत्प्रेक्षा गीत के सौंदर्य को प्रकाशित करते रहे हैं. आधुनिक हिंदी के जन्मदाता भारतेंदु हरिश्चंद्र और प्रताप नारायण मिश्र सरीखे साहित्यकारों का गीत को एक लालित्यपूर्ण साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित करने में अनुपम योगदान रहा है . गीत को न केवल साहित्यिक स्वरुप और वैशिष्ट्य प्राप्त है, अपितु अनेक गीतकारों ने अनेक साहित्यिक विद्वानों तथा अच्छे-अच्छे समालोचकों का मार्गदर्शन किया है .
जहां तक हिंदी चिट्ठाकारी में गीत की सहभागिता का प्रश्न है तो श्री पंकज सुबीर, संजीव वर्मा 'सलिल' , शास्त्री मयंक, ललित शर्मा आदि चिट्ठाकारों ने इसे प्रतिष्ठापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं .
आज हम लेकर आये हैं श्री संजीव वर्मा सलिल, ललित शर्मा और रवि कान्त पांडे के गीत .
() श्री ललित शर्मा के गीत को बांचने के लिए .......................यहाँ किलिक करें
() श्री रवि कान्त पांडे के गीत को बांचने के लिए................. यहाँ किलिक करें
जारी है उत्सव मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद
संजीव सलिल जी , ललित शर्मा जी और रविकांत पांडेय जी की रचनाएं बहुत अच्छी लगी !!
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