मैं समय हूँ, मैंने सुनी है ग़ालिब और मीर की गज़लें, मैंने दुष्यंत को भी सुना है और दुष्यंत के बाद की पीढ़ी को भी...मेरा अहोभाग्य कि आज मैं इस ब्लोगोत्सव में दुष्यंत के बाद सर्वाधिक चर्चित गज़लकार अदम गोंडवी को शामिल होते देख रहा हूँ, आप भी देखिये- ( किलिक करें)
ग़ज़ल की बात हो और स्वर कानों में रस न घोले तो सबकुछ फीका-फीका सा लगता है. शायद उद्घोषक ने मेरे मन की किताब को पढ़ लिया है , इसीलिए सुनील सिंह डोगरा को मंच पर आमंत्रित किया गया है. डोगरा जी मंच पर पधार चुके हैं श्रीमती निर्मला कपिला जी की ग़ज़ल को लेकर . आईये सुनते हैं निर्मला जी की गज़लें सुनील डोगरा की आवाज़ में- ( किलिक करें)
उत्सव जारी है , मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद यानी दो बजे पुन: परिकल्पना पर .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
hardik badhai....shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंजुदा अंदाज..जुदा ख्यालात..बधाइयाँ !!
जवाब देंहटाएंइन महत्वपूर्ण प्रस्तुतियों का आभार !
जवाब देंहटाएंवाह!! निर्माला जी और आदिम गोंडवी की गज़लें...फिर सुनील जी की प्रस्तुति एवं स्वर...बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएं