मैं समय हूँ !
आज फिर उपस्थित हूँ ब्लोगोत्सव-२०१० में, क्योंकि आज का दिन कुछ ख़ास है .
पारस्परिक सद्भावना को प्रश्रय देने वाले इस उत्सव में आज शामिल हो रहे हैं भारतीय साहित्य के एक ऐसे स्तंभ जिनकी आभा से ददीव्यमान है हमारी शाश्वत संस्कृति ...!
आज मैं हतप्रभ हूँ !
अपने समक्ष पाकर एक ऐसे मनीषी को, जिनकी साहित्य साधना विगत छ: सात दशक से हिंदी साहित्य के प्रकाश-पथ पर आगे-आगे चल रही है और सारे स्वर-व्यंजन के साथ समय पीछे-पीछे चल रहा है ...!
तस्वीर से शायद आप समझ गए होंगे कि -
मैं आपको सांस्कृतिक शहर कोलकाता ले जा रहा हूँ जहां हिन्दी के श्रेष्ठ गद्यशिल्पी पं० हजारी प्रसाद द्विवेदी के एक साधक शिष्य लीन है वर्षों से साहित्य साधना में ....नाम है कृष्ण बिहारी मिश्र
यह उत्सव के लिए गर्व का विषय है कि -
आज उनसे हमारा साक्षात्कार हो रहा है, चलिए चलते हैं कार्यक्रम स्थल पर
....यहाँ किलिक करें
....यहाँ किलिक करें
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अपरिहार्य कारणों से आज हम डा0 दिविक रमेश का साक्षात्कार प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं, यह साक्षात्कार अब हम दिनांक ०३.०४.२०१० को प्रकाशित करेंगे ....इससे होने वाली असुविधा के लिए हमें खेद है !
()ब्लोगोत्सव-२०१० टीम
gret
जवाब देंहटाएंएक महान साहित्यकार से रूबरू करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, बहुत सुन्दर ....पढ़कर आनंद आ गया !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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