मैं समय हूँ !


कल जब मैंने ब्लोगोत्सव का आगाज़ करते हुए -


स्वप्न मंजूषा शैल यानी अदा जी को


वाणी वन्दना को स्वर देते सुना ....तो बड़ी जिज्ञासा थी कि


उनके स्वर में काव्य पाठ का आनंद लिया जाए


आयोजकों ने शायद मेरे मन की किताब पढ़ ली है


इसीलिए काव्यपाठ के लिए


आमंत्रित किया है अदा जी को


आईये चलते हैं मंच के समीप और सुनते हैं अदा जी से


उनकी आवाज़ में एक कविता ......यहाँ किलिक करें




जारी है उत्सव मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद यानी ०५ बजे परिकल्पना पर

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