आज जब मैं सुबह-सुबह घर से दफ्तर के लिए निकला, तो मेरी छोटी बिटिया उर्वशी ने कहा -" पापा ! आपका दफ्तर आज बंद नहीं है? " मैंने कहा-...
जिंदगी के मायने समझ जाओगे ।
हंसोगे, रोओगे, गुनगुनाओगे जिंदगी के मायने समझ जाओगे । मिल जायेगी मोती तुम्हे भी तब- जब समुद्र में गहरे उतर जाओगे । माँ कहती है कि अक्ल आ जाय...
हम सांप से ज्यादा जहरीले हो गए हैं
स्वार्थ के दांत कितने नुकीले हो गए हैं हम सांप से ज्यादा जहरीले हो गए हैं । हर कोई समझने में करने लगा है भूल- क्योंकि हमारे आवरण चमकीले हो...
राजपथ पर बुत बने हैं राम क्यों ?
ग़ज़ल : मच रहा है मुल्क में कोहराम क्यों , राजपथ पर बुत बने हैं राम क्यों ? रोज आती है खबर अखवार में , लूट, हत्या , ख़ौफ , कत्लेयाम क्यों ?...
सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता.....
ग़ज़ल : किसी दरिया,किसी मझदार से नफरत नहीं करता सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता । यक़ीनन शायरी का इल्म जिसके पास होता वह - क...
मंदिर-मस्जिद मुद्दों में बस खो गया है आदमी ।
ग़ज़ल आज अपने आप में क्या हो गया है आदमी , जागने का वक़्त है तो सो गया है आदमी । भूख की दहलीज़ पर जगता रहा जो रात- दिन , चंद रोटी खोजने में ख...
क्या ठीक हों जाएगा ?
जब - बीमार अस्पताल की बीमार खाट पर पडी मेरी बूढ़ी बीमार माँ खांस रही थी बेतहाशा तब महसूस रहा था मैं कि, कैसे - मौत से जूझती है एक आम औरत । ...
तुम्हारी आंखों में ....
ग़ज़ल ख़्वाबों की ताबीर तुम्हारी आँखों में है, शोख़ जवाँ कश्मीर तुम्हारी आँखों में है। तुझमें है तासीर मोहब्बत की भीतर तक, शायर गालिब-मीर तु...
ज़िंदगी के श्वेत पन्नों को न काला कीजिये
ग़ज़ल ज़िंदगी के श्वेत पन्नों को न काला कीजिये आस्तिनों में संभलकर सांप पाला कीजिये। चंद शोहरत के लिए ईमान अपना बेचकर - हादसों के साथ खुद को...
आभासी दुनिया की मित्रता कैसी होनी चाहिए ?
जन्म के साथ मनुष्य के संवंधों का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है । विभिन्न संवंधों का निर्वाह करता हुआ मनुष्य आजीवन सुख-दु:ख का भोग करता चलता है...
ब्लोगिंग को बनाएं तनावमुक्त जीवन का एक हिस्सा
हर व्यक्ति जीवन में पद,प्रतिष्ठा, प्रशंसा , पैसा और प्रसिद्धि की उच्चाकांक्षा रखता है । यही पांच "प" व्यक्ति के तनाव का मुख्य कार...
बेनामी टिप्पणियों की पहचान करें ....
परसों की पोस्ट "अच्छे ब्लॉग लेखन के लिए जरूरी है .....!" से आगे बढ़ते हुए आज प्रस्तुत है - कैसे करें बेनामी टिप्पणियों की पहचान ...
हिंदी का मोल
हिंदी दिवस पर विशेष - दो- तिहाई विश्व की ललकार है हिंदी मेरी - माँ की लोरी व पिता का प्यार है हिंदी मेरी । बाँधने को बाँध लेते लोग दरिया अन...
अच्छे ब्लॉग लेखन के लिए जरूरी है......
पिछले दो पोस्ट में मैंने ब्लॉग लेखन से संवंधित कुछ महत्वपूर्ण पहलूओं पर प्रकाश डाला, किन्तु जब अनुशासन की बात आई तो एक ब्लोगर जिनके नाम का उ...
प्रेम तकलीफ है .....पर आदमी बनने के लिए जरुरी है तकलीफ से गुजरना ....!
जहां समाप्ति की नियति है वहां हर कर्म क्षणिक और अपने लिए गढ़ा गया हर अभिप्राय भ्रम होता है इसलिए- शुरू की जानी चाहिए मृत्यु से जीवन की बात स...
कर लो कबूल मेरा भी सलाम ईद का ...
अमनो-अमां और आपसी भाईचारे का त्यौहार "ईद" एक ओर जहां बफादारी के साथ इताअत यानी अल्लाह के बताये मार्ग पर चलने का सन्देश देता है वही...
अपाहिजों के खेल में अंधे तमाशबीन
अगली सदी के हैं ये ख़्वाब बेहतरीन अपाहिजों के खेल में अंधे तमाशबीन तारीफ़ यूँ करेंगे गूंगे भी बेहिसाब- संसद करेगा पागलों की बात पर यकीन भैंस स...
ब्लोगिंग में अनुशासन का महत्व ....
पिछले पोस्ट में मैंने ब्लॉग की व्याख्या प्रस्तुत की थी । उसी क्रम में आज प्रस्तुत है ब्लोगिंग में अनुशासन का महत्व । जैसा कि आप सभी को विदि...
आप ब्लॉग क्यों लिखते हैं ?
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, नई दिल्ली (भारत सरकार) और तस्लीम, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, 'ब्लॉग लेखन के द्वा...
एक नज़र इधर भी ...
परिकल्पना पर आज : '' हो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था , शौक़ से डूबें जिसे भी डूबना है '' हो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था , शौक़...
'' हो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था , शौक़ से डूबें जिसे भी डूबना है ''
'' हो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था , शौक़ से डूबें जिसे भी डूबना है '' दुष्यंत ने आपातकाल के दौरान ये पंक्तियाँ कही थी , तब श...
परिकल्पना समूह : एक विहंगावलोकन
परिकल्पना पर आज : गुरु बिनु ज्ञान कहाँ जग माही.... आज शिक्षक दिवस है। दिवसों की भीड़ में एक और दिवस.......! गुरु, शिक्षक, आचार्य, उस्ताद,...
गुरु बिनु ज्ञान कहाँ जग माही....
आज शिक्षक दिवस है। दिवसों की भीड़ में एक और दिवस.......! गुरु, शिक्षक, आचार्य, उस्ताद, अध्यापक या टीचर ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को व्याख्य...
परिकल्पना समूह : एक विहंगावलोकन
वटवृक्ष पर आज : प्यार ज़िन्दगी कहाँ से शुरू होती है , उस रुदन से, जब माँ के गर्भनाल से अलग होता है बच्चा , या वहाँ से जब माँ के अन्दर एक धड...
वजह क्या है ?
भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है हो गयी नंगी सियासत , वजह क्या है ? मछलियों को श्वेत बगुलों की तरफ से - मिल रही क्या खूब दावत , वजह क्या ह...
बहुप्रतीक्षित वटवृक्ष का शुभारंभ
कहते हैं समय ठहरता नहीं , मौसम बदलते हैं , तेवर बदलते हैं , चाँद भी पूर्णता से परे होता है और अमावस की रात आती है ... यूँ कहें अमावस जीवन का...