
भाई उठा बहन के लिए या बहन उठी भाई के लिए - यह प्रसंग ही बेकार है ! परिवार होता क्यूँ है ? क्या सभी बोल पाते हैं ?
अगर मैंने सही ज़िन्दगी नहीं पायी तो क्या बेटी को यह कहूँ कि पहले दिन से अपना राग रखना ? ' नहीं - ' मुक्त होना है गलत विचारों से , अन्याय से .... न कि पुरुष से या पत्नी से '
नारी शोषण सबसे अधिक नारी करती है... बेटे को भड़काती है , बेटी को बजाये विनम्रता सिखाने के कहती है कि पति को जूते की नोक पर रखना . ' अन्याय नहीं सहना चाहिए , बात बस यही प्रमुख है और वह भी पहले दिन ही इसे नहीं तय कर सकते . किसी आग से बचकर निकलने में वक़्त लग जाता है !

रश्मि प्रभा
नारी न भाये

कन्या पूजन करते हैं सब
पर कन्या ही न भाये
जन्में कन्या कहीं किसी के
तो सब शोक मनायें ।
कन्या हुई तो दहेज की चिंता
पहले दिन से ही डराये
हो गई शादी अगर तो
दहेज के लिए फिर जलाये ।
नारी के बढ़ते कदम
किसी को भी न भायें
घर बाहर सब जगह
विरूद्ध बात बनायें ।
नारी से सब डरते हैं
पर पीछे-पीछे मरते हैं
संसद में कर हंगामा
परकटी, सीटीमार कहते हैं ।
अब भैया तुम्हीं बताओ
नारी कहाँ पर जाये
नारी के बिना ये दुनिया
क्या एक कदम चल पाये।
स्त्री-पुरुष विभेद की मानसिकता
ऐसे में एक पहल के तहत केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कक्षा एक से पांँच तक की अपनी एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों से ऐसे शब्दों और चित्रों को हटाने का फैसला किया है जिनसे लिंगभेद की बू आती हो। मसलन, हिंदी की कविता ’पगड़ी’ और ’पतंग’ औरत की नकारात्मक छवि दर्शाती है। पतंग में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि पतंग केवल लड़के ही उड़ा सकते हैं। इसी प्रकार एनसीईआरटी की कक्षा तीन की पर्यावरण पुस्तक में एक औरत को कुंँए से पानी खींचते हुए दिखाया गया है। मानो यह काम सिर्फ महिलाओं का ही हो। विभेद को ख़त्म करने के लिये परिषद द्वारा मिल्कमैन, पुलिसमैन जैसे शब्दों की बजाय अब पाठ्यपुस्तकों में मिल्कपर्सन, पुलिसपर्सन जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।
वस्तुत: एनसीईआरटी के डिपार्टमेंट आॅफ वुमेन्स स्टडीज ने इस पर व्यापक शोध करने के बाद ऐसे शब्दों और चित्रों को पाठ्यपुस्तकों से हटाने का निर्णय लिया है। एनसीईआरटी का मानना है कि इससे स्कूली बच्चे इन फर्क के बारे में सोचेंगे नहीं और लड़का-लड़की का फर्क कम से कम किताबों में न झलके। परिवर्तन गणित, अंग्रेजी, हिंदी और कहानी की किताबों में किया गया है। कहानियों का चयन भी ऐसा होगा जिससे लिंग समानता की सीख मिले। वैसे तमाम महिला संगठन इस बात की लंबे अरसे से मांग करती आ रही हैं कि ऐसे शब्दों के प्रयोग पर बैन लगे जिनसे पुरूष प्रधानता की दुर्गंध आती है। खैर, देर से ही सही पर इस एक कदम से कइयों की मानसिकता तो जरुर बदलेगी !!
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस : परिवार की महत्ता
परिवार की महत्ता से कोई भी इंकार नहीं कर सकता। रिश्तों के ताने-बाने और उनसे उत्पन्न मधुरता, स्नेह और प्यार का सम्बल ही परिवार का आधार है। परिवार एकल हो या संयुक्त, पर रिश्तों की ठोस बुनियाद ही उन्हें ताजगी प्रदान करती है। आजकल रिश्तों को लेकर मातृ दिवस, पिता दिवस और भी कई दिवस मनाये जाते हैं, पर आज इन सबको एकीकार करता हुआ ''अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस'' मनाया जाता है। परिवार का साथ व्यक्ति को सिर्फ भावनात्मक रूप से ही नहीं बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टि से भी मजबूत रखता है। परिवार के सदस्य ही व्यक्ति को सही-गलत जैसी चीजों के बारे में समझाते हैं।
परिवार की इसी महत्ता को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1993 में एक प्रस्ताव पारित कर प्रत्येक वर्ष 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। वस्तुत : अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस परिवारों से जुड़े मसलों के प्रति लोगों को जागरुक करने और परिवारों को प्रभावित करने वाले आर्थिक, सामाजिक दृष्टिकोणों के प्रति ध्यान आकर्षित करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है.
ऐसे में एक तरफ जहाँ परिवार के लोगों की वैयक्तिक जरूरतों के साथ सामूहिकता का तादात्मय परिवार को एक साथ रखने के लिए बेहद जरूरी है, वहीँ परिवार और काम के बीच का संतुलन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति के लिए उसका परिवार बहुत महत्वपूर्ण होता है। व्यक्ति के जीवन को स्थिर और खुशहाल बनाए रखने में उसका परिवार बेहद अहम भूमिका निभाता है।
- आकांक्षा यादव
कालेज में प्रवक्ता के बाद साहित्य,लेखन और ब्लागिंग के क्षेत्र में प्रवृत्त।
www.shabdshikhar.blogspot.com/
अब समय है एक विराम का, मिलती हूँ एक छोटे से विराम के बाद.....
vicharparak prastuti
जवाब देंहटाएंसुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया (h)
जवाब देंहटाएंआकांक्षा जी को इस महत्वपूर्ण आलेख के लिए साधुवाद !
जवाब देंहटाएंरश्मि जी का कैप्शन बहुत ही संतुलित और प्रभावशाली है । स्त्री विषयक चिंतन में रश्मि जी का यह चिंतन एक अभिलेख की तरह माना जायेगा ।