स्वागत है आप सभी का ब्लॉगोत्सव-२०१४ के पांचवें दिन की प्रथम प्रस्तुति में
मैथिली मुख्य रूप से भारत में उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई के ईलाक़ों मे बोली जानेवाली भाषा है। यह प्राचीन भाषा हिन्द आर्य परिवार की सदस्य है और भाषाई तौर पर हिन्दी, बांग्ला, असमिया, उड़िया और नेपाली से इसका काफी निकट का संबंध है ।
मैथिली साहित्य का अपना समृद्ध इतिहास रहा है और चौदहवीं तथा पंद्रहवीं शताब्दी के कवि विद्यापति को मैथिली साहित्य में सबसे ऊँचा दर्जा प्राप्त है। वर्तमान काल मे डा. हरिमोहन झा, बाबा,उग्रणारायन मिश्र 'कनक्', मैथिली भाषा के प्रमुख लेखक माने जाते हैं|
भारत की साहित्य अकादमी द्वारा मैथिली को साहित्यिक भाषा का दर्जा पंडित नेहरू के समय १९६५ से हासिल है।
मैथिल भाषा की अपनी मिठास होती है . इस मिठास से मिलते हैं लेखिका- मृदुला प्रधान के लेखन के साथ-
कतय गेल गणतंत्र-दिवस (मैथिली)
कतय गेल गणतंत्र-दिवस
झंडा क गीत
कतय सकुचायेल,
दृश्य सोहनगर,देखबैया
छथि
कतय नुकाएल.
लालकिला आर कुतुबमिनारक
के नापो ऊँचाई,
चिड़ियाघर जंतर-मंतर क
छूटल
आबा-जाही.
पिकनिक क पूरी-भुजिया
निमकी,दालमोट,
अचार,
कलाकंद,लड्डुक डिब्बा लय
मित्र,सकल परिवार.
कागज़ के छिपी-गिलास,
थर्मस में
भरि-भरि चाय,
दुई-चारि टा शतरंजी वा
चादर लिय
बिछाए.
ई सबहक दिन
बीति गेल, आब
'मॉल' आर 'मल्टीप्लेक्स',
दही-चुड़ा छथि मुंह
बिधुऔने,
घर -घर बैसल
'कॉर्न-फ्लेक्स'.
'कमपिऊटर' पीठी पर
लदने
मुठ्ठी में 'मोबाइल',
अपने में छथि
सब केओ बाझल
यैह नबका
'स्टाइल'....
हिन्दी अनुवाद---
है गया कहाँ
गणतंत्र-दिवस,
झंडा का गीत कहाँ
सकुचाया ,
लोग-बाग छुप गये
कहाँ
है दृश्य मनोरम
आया.……
नापे कौन ऊँचाई
जाये ,
लालकिला और कुतुबमीनार,
चिड़ियाघर,जंतर-मंतर
आना-जाना
अब दरकिनार…….
पिकनिक में पूरी-भुजिया
निमकी,दालमोट,
अचार,
कलाकंद,डब्बा लड्डू का
मित्र,सकल परिवार......
ग्लास-प्लेट पेपर वाले,
थरमस में भरकर
चाय,
दो-चार दरी
या कि चादर,लेकर
चले बिछाये......
बीत गये वो दिन
वो बातें,बचा
'मॉल', 'मल्टीप्लेक्स',
रूठा बैठा दही-चुड़ा
बैठा 'कॉर्नफ्लेक्स'……
चढ़ा पीठ पर कम्प्यूटर
ले मुठ्ठी में
मोबाइल, अपने में
खोया हर कोई
यही नया 'स्टाईल'…….
मृदुला प्रधान
हिन्दी और मैथिली में कविता लेखन......पाँच कविता-संग्रह प्रकाशित......
अब समय है एक विराम का, मिलती हूँ एक छोटे से विराम के बाद.....
आपकी लिखी रचना शनिवार 07 जून 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
har raz naya kuch......bahot achcha lag raha hai......
जवाब देंहटाएंजी जुड़ाएल गैयल
जवाब देंहटाएंएहां के निक चुनल पाइढ़ क
:)
bahut sundar prastuti
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता है ......परन्तु आप पोस्ट्स का चुनाव कैसे करते हैं....ये पोस्ट्स आप अपने निश्चित वर्ग से ही लेते हैं ..या सभी ब्लोगर्स स्वतंत्र हैं भेजने के लिए आपके ब्लॉग पर ....
जवाब देंहटाएंइस उत्सव के आरम्भ में ही हम सूचना देते हैं, फिर भेजे गए पोस्ट को पढ़कर तय करते हैं इस रंगमंच के लिए क्या उपयुक्त है !
हटाएंपर आंटी हमें तो कोई सूचना नही आई | :(
हटाएंउत्सव के पहले परिकल्पना का पोस्ट देखो, फेसबुक पर भी मैंने लिखा - और तभी तुम से बात भी हुई :)
हटाएंwww.parikalpnaa.com/2014/05/blog-post.html
हटाएंइस तरह मनता है गणतंत्र दिवस !
जवाब देंहटाएंवाह :)
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