स्वागत है आप सभी का ब्लॉगोत्सव-२०१४ के प्रथम दिवस की अंतिम प्रस्तुति में 





रिश्ता,प्यार,दोस्ती 
 सिर्फ इन्हें ही नहीं निभाना होता
अपमान भी निभाना पड़ता है !
प्यार का सम्मान ज़रूरी है 
तो शांति से जीने के लिए 
अपमान का सम्मान कहीं अधिक ज़रूरी है !  





रश्मि प्रभा 

   


वैसे, इस सत्य, इस स्वीकृति से परे 

जो ... 

जो कहते हैं कि गरजने वाले बरसते नहीं
शायद उन्होने, हम जैसे मेघ नहीं देखे
जो पूर्वाई के झोंकों में झूला झूलते हैं
शायद उन्होने हम जैसे तूफ़ानों के वेग नहीं देखे

जो लूली टाँगों की घिसट को मदमस्त चाल बतायें
शायद उन्होने गज के शाही टेक नहीं देखे
जो राष्ट्र को राज्यों में बाँटने में लगे हुए हैं
शायद उन्होने चार्करवर्ती सम्राटों के राज्याभिषेक नहीं देखे
जो चमकीली भंगिमाओं में प्रसन्न रहते
शायद उन्होने सौ सूर्यों के तेज नहीं देखे
जो गोरे काले, रंग भेद से रंगते सबको
शायद उन्होने, इंद्रधनुषी दैविक रंग्रेज़ नहीं देखे

जो हरदम हर में , बुरा ही देखें
शायद उन्होने प्रकृति के छोटे छोटे संदेश नहीं देखे
जो हर दम अपनी मनवाने को आतुर हों
शायद उन्होने यमराज के आदेश नहीं देखे

जो कहते हैं कि गरजने वाले बरसते नहीं
शायद उन्होने, हम जैसे मेघ नहीं देखे
जो पूर्वाई के झोंकों में झूला झूलते हैं
शायद उन्होने हम जैसे तूफ़ानों के वेग नहीं देखे


निनाद 


सन्नाटे में भी
हल्का हल्का सा है निनाद
वेदों की वाणी
वीणा की ध्वनि
जीवन के रस का है स्वाद
हल्का हल्का सा है निनाद

मृत्यु के साए से उन्मुक्त
जीव की नाड़ी के स्पंदन
व्योम में फैला
प्राण का धन्यवाद
हल्का हल्का सा है निनाद

अनादि से पहले अंत के बाद
ओमकार का नैसर्गिक आलाप
उन्नत हुआ स्तर, ना पुण्य, ना पाप
पुराने की भस्म, नवीन की खाद
हल्का हल्का है निनाद

काल चक्र और योनि तोड़े
समय के पहिए को मरोड़े
शिव-शक्ति की भंगिमा से ऊपर
नटराज के तांडव से अनछुआ
"आशा" का है उन्माद
करता हल्का हल्का निनाद
हल्का हल्का सा है निनाद
हल्का हल्का सा है निनाद


एक नया आसमाँ चाहिए अब, एक नई उड़ान के लिए


घोंसले पिंजरे बनते जा रहे
और अब इन पंखों में वो जान कहाँ
कि ये बादल छूँ आयें

कभी फलक पर इंद्रधनुष सजते थे
अब गिद्ध मंडराते हैं
हवायें ज़हरीली हैं
बादल तेज़ाब बरसाते हैं
एक नया आसमाँ चाहिए अब
नई उड़ान के लिए

जिनके साथ उड़ान भरी थी कभी
वो हमराही भी उड़ चले हैं
नये दाने के लिए
हम उड़ना भी चाहें तो
जाल बिछाए तयार हैं बादल
शिकार के लिए
एक नया आसमाँ चाहिए अब,
एक नई उड़ान के लिए

नीले आकाश, पीले हो चले
पीले पत्ते मौत से नीले हो चले
एक इंद्रधनुष था जो जीवट लाता था
उसके रंग भी अब फीके हो चले
एक नया आसमाँ चाहिए अब
एक नई उड़ान के लिए

क्या मैं फिर से उड़ सॅकुंगा ?
या मेरे पंख झड़ जाएँगे
या मेरे पंखों के फैलाव
उड़ान की ताक़त बटोर पायेंगे?
या आसमाँ की ओर ताकते ताकते
प्राण धीमे से निकल जाएँगे?
या
एक नया आसमाँ चाहिए अब
एक नई उड़ान के लिए ?

हाँ
एक नया आसमान चाहिए अब
एक नई उड़ान के लिए



अनुपम  ध्यानी 
I drink "Life to the Lees",soaking everything in me. Good,bad or mediocre, doesn't matter.I plan to "LIVE" till my days are over, live life "MY SIZE".

                                                           ब्लॉगोत्सव में आज बस इतना हीं, रश्मि प्रभा को अनुमति दीजिये..... 
मिलती हूँ कल फिर इसी जगह...इसी समय...
तबतक के लिए शुभ विदा।

5 comments:

  1. नटराज के तांडव से अनछुआ
    "आशा" का है उन्माद
    करता हल्का हल्का निनाद
    हल्का हल्का सा है निनाद
    हल्का हल्का सा है निनाद

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति। तीनों कविताएं कमाल।

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  3. लाजवाब तीनों रचनाएं .. धमाकेदार आगाज़ ...

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