जन्म लेते चाहो ना चाहो ज़िन्दगी साथ हो लेती है और कई रिश्ते रुपी चेहरे भीड़ बन जाते हैं .... विनम्र बनो तो आजिजी मन को अनमना करेगी , मुखौटे लगाओ तो अपनी पहचान पर अपना ही मन सवाल करता है ...
डॉ जेनी शबनम की व्याख्या तपते दिल पर शबनम की बूंदों सी राहत देगी ..... लगता है = किसी ने बारीकी से सच को उभारा
कुछ रिश्ते बेनाम होते हैं
जी चाहता है
कुछ नाम रख ही दूँ
उसे पुकारना ज़रुरी पड़ जाए
जब नाम के सभी रिश्ते नाउम्मीद कर दें
और बस एक आखिरी उम्मीद वही हो...
कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं
जी चाहता है
भट्टी में उसे जला दूँ
और उसकी राख को अपने आकाश में
बादल सा उड़ा दूँ
जो धीरे-धीरे उड़ कर धूल-कणों में मिल जाए
बेकाम रिश्ते बोझिल होते हैं
बोझिल ज़िंदगी आखिर कब तक...
कुछ रिश्ते बेशर्त होते हैं
बिना किसी अपेक्षा के जीते हैं
जी चाहता है
अपने जीवन की सारी शर्तें
उनपर निछावर कर दूँ
जब तक जीऊँ
बेशर्त रिश्ते निभाऊँ...
कुछ रिश्ते बासी होते हैं
रोज़ गर्म करने पर भी नष्ट हो जाते हैं
जी चाहता है
पोलीथीन में बंद कर
कूड़ेदान में फेंक दूँ
ताकि वातावरण दूषित होने से बच जाए...
कुछ रिश्ते बेकार होते हैं
ऐसे जैसे दीमक लगे दरवाज़े
जो भीतर से खोखले पर साबुत दिखते हों
जी चाहता है
दरवाज़े उखाड़ कर
आग में जला दूँ
और उनकी जगह शीशे के दरवाजे लगा दूँ
ताकि ध्यान से कोई ज़िंदगी में आए
कहीं दरवाजा टूट न जाए...
कुछ रिश्ते शहर होते हैं
जहाँ अनचाहे ठहरे होते हैं लोग
जाने कहाँ-कहाँ से आ कर बस जाते हैं
बिना उसकी मर्जी पूछे
जी चाहता है
सभी को उसके-उसके गाँव भेज दूँ
शहर में भीड़ बढ़ गई है...
कुछ रिश्ते बर्फ होते हैं
आजीवन जमे रहते हैं
जी चाहता है
इस बर्फ की पहाड़ी पर चढ़ जाऊँ
और अनवरत मोमबत्ती जलाए रहूँ
ताकि धीरे-धीरे
ज़रा-ज़रा-से पिघलते रहे...
कुछ रिश्ते अजनबी होते हैं
हर पहचान से परे
कोई अपनापन नहीं
कोई संवेदना नहीं
जी चाहता है
इनका पता पूछ कर
इन्हें बैरंग लौटा दूँ...
कुछ रिश्ते खूबसूरत होते हैं
इतने कि खुद की भी नज़र लग जाती है
जी चाहता है
इनको काला टीका लगा दूँ
लाल मिर्च से नज़र उतार दूँ
बुरी नज़र... जाने कब... किसकी...
कुछ रिश्ते बेशकिमती होते हैं
जौहरी बाज़ार में ताखे पे सजे हुए
कुछ अनमोल
जिन्हें खरीदा नहीं जा सकता
जी चाहता है
इनपर इनका मोल चिपका दूँ
ताकि देखने वाले इर्ष्या करें...
कुछ रिश्ते आग होते हैं
कभी दहकते हैं कभी धधकते हैं
अपनी ही आग में जलते हैं
जी चाहता है
ओस की कुछ बूंदें
आग पर उड़ेल दूँ
ताकि धीमे धीमे सुलगते रहें...
कुछ रिश्ते चाँद होते हैं
कभी अमावस तो कभी पूर्णिमा
कभी अन्धेरा कभी उजाला
जी चाहता है
चाँदनी अपने पल्लू में बाँध लूँ
और चाँद को दिवार पे टाँग दूँ
कभी अमावस नहीं...
कुछ रिश्ते फूल होते हैं
खिले-खिले बारहमासी फूल की तरह
जी चाहता है
उसके सभी काँटों को
ज़मीन में दफ़न कर दूँ
ताकि कभी चुभे नहीं
ज़िंदगी सुगन्धित रहे
और खिली-खिली...
कुछ रिश्ते ज़िंदगी होते हैं
ज़िंदगी यूँ ही जीवन जीते हैं
बदन में साँस बनकर
रगों में लहू बनकर
जी चाहता है
ज़िंदगी को चुरा लूँ
और ज़िंदगी चलती रहे यूँ ही...
रिश्ते फूल, तितली, जुगनू, काँटे...
रिश्ते चाँद, तारे, सूरज, बादल...
रिश्ते खट्टे, मीठे, नमकीन, तीखे...
रिश्ते लाल, पीले, गुलाबी, काले, सफ़ेद, स्याह...
रिश्ते कोमल, कठोर, लचीले, नुकीले...
रिश्ते दया, माया, प्रेम, घृणा, सुख, दुःख, ऊर्जा...
रिश्ते आग, धुआँ, हवा, पानी...
रिश्ते गीत, संगीत, मौन, चुप्पी, शून्य, कोलाहल...
रिश्ते ख्वाब, रिश्ते पतझड़, रिश्ते जंगल, रिश्ते बारिश...
रिश्ते स्वर्ग रिश्ते नरक...
रिश्ते बोझ, रिश्ते सरल...
रिश्ते मासूम, रिश्ते ज़हीन...
रिश्ते फरेब, रिश्ते जलील...
रिश्ते उपमाओं बिम्बों से सजे
संवेदनाओं से घिरे
रिश्ते रिश्ते होते हैं
जैसे समझो
रिश्ते वैसे होते हैं...
रिश्ते जीवन
रिश्ते ज़िंदगी...
व्याख्या हुई तो कई कलम मिले ..... मिलवाती हूँ एक एक करके =
धोखा होते हैं
जो छल करते हुए
जिन्दा रहते हैं !
.....
कुछ रिश्ते
अंबर होते हैं
कहीं भी रहो
वो अपना साया कर देते हैं !
.....
कुछ रिश्ते
बन जाते हैं स्वयं ही
कुछ बनाये जाते हैं
कुछ टूट जाते हैं
फिर भी निभाये जाते हैं !
...
कुछ रिश्ते
हमेशा साथ होते हैं
चाहे वक्त उनमें कितनी भी
दूरियां ले आये !
...
कुछ रिश्ते सूख जाते हैं
वक़्त की धूप में जब भी
एक प्यास जागती है मन में
इन्हें नम रखने के लिए !!!
....
मन्टू कुमार
मन के कोने से: कुछ रिश्ते होते हैं...
कुछ रिश्ते होते हैं...
उन्हें बेनामी रहना पसंद है,
इस शर्त पर कि
एहसास कभी कम ना हों उन रिश्तों के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
जिन्हें दूरी पसंद है
और करीब आने का राश्ता,
वे शायद भूला चुके होते हैं...
कुछ रिश्ते होते हैं...
नाकाब पहने...यूँ साथ चलते हैं जैसे...
उन्हें परवाह है हमारी...
पर अफ़सोस उनके लिए कि,
एक ना एक दिन नाकाब भी साथ छोड़ देगी...
उनके,इस रवैये के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
दिखावटी,
जहाँ दम घुट रहा होता है...
खुशियों का...एहसास का...
और उन रिश्तों का होना...
शायद कभी-कभी,
जरुरी हों जाता है इस जिंदगी के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
इतने जरुरी जितने कि...
नदी के लिए पानी...
कलम के लिए कागज...
और फिर उन रिश्तों के,
होने से ही हम होते हैं...
कुछ रिश्ते होते हैं...
जिनका बंधन यूँ तो मजबूत नही,
पर टूट के बिखरना,इतना आसान भी नही है...
कुछ रिश्ते होते हैं...
जो दफ़न हों जाते हैं,
वक्त के गहरे समंदर में...
लेकिन उनकी परछाई हमारा साथ दे रही होती है...
आज में,
और हम होते हैं बेखबर...
कुछ रिश्ते होते हैं...और होने भी चाहिए...|
सही में रिश्तों का इस जिंदगी में होना उतना ही जरुरी है जितना की हमारे वजूद का इस जिंदगी में होना...कभी-कभी रिश्तों की डोर ढीली पड़ जाती है और फिर उन रिश्तों के लिए जीने की आश धुँधली नज़र आती है...मन को चैन नही पड़ता...और खुली हवा में भी घुटन महसूस होती है...
एक फिल्म में एक पात्र यह कहता भी है कि "बंधन रिश्तों का नही एहसास का होता है...अगर एहसास ना हों तो रिश्ते मजबूरी बन जाते हैं...वहाँ प्यार की कोई जगह नही होती...और वैसे भी रिश्ते,जिंदगी के लिए होते हैं,जिंदगी रिश्तों के लिए नही"
राजेंद्र तेला
कुछ रिश्ते.... - "निरंतर" की कलम से.....
कुछ रिश्ते
मन में बसते
चाहे अनचाहे
अनजाने में बनते
किसी रिश्ते से
कम नहीं होते
निरंतर मिलने की
ख्वाइश तो होती
मुलाक़ात हो ना हो
दूरियां उनमें
खलल नहीं डालती
नजदीकियां
दिल की होती
इक कसक दोनों
तरफ होती
दिल से दुआ
एक दूजे के लिए
निकलती
कमी दिल में सदा
खलती
याद से रौनक
चेहरे पर आती
जहन में सुखद
अनुभूती होती
कुछ रिश्ते.............
इसी के साथ आज का कार्यक्रम संपन्न करूँ उससे पहले मैं आपको ले चलती हूँ वटवृक्ष पर जहां कौशलेन्द्र एक जरूरी विमर्श को लेकर आज उपस्थित हैं :
स्त्रियों को शक्ति स्वीकारने वाले देश में स्त्रियों के सम्मान और प्राणरक्षा के लिये आन्दोलन
आप इस विमर्श मे शामिल हो, मैं मिलती हूँ कल फिर सुबह 10 बजे परिकल्पना पर उत्सव के बाइसवें दिन की कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तुतियाँ लेकर ।
डॉ. जेनी जी तो जैसे रिश्तों का पूरी व्याख्या ही कर दी | इतनी कुशलता से एक एक रिश्ते का इतना सुन्दर वर्णन | बहुत ही सुन्दर |
जवाब देंहटाएंसदा जी , मंटू भाई और राजेन्द्र जी की रचनाएँ भी बहुत सुन्दर हैं | लेकिन जेनी जी ने इस पोस्ट में वही काम किया है जैसे टीम इंडिया में सचिन | :)
सादर
सही में रिश्तों का इस जिंदगी में होना उतना ही जरुरी है जितना की हमारे वजूद का इस जिंदगी में होना...
जवाब देंहटाएंकुछ रिश्ते
गुल्लक होते हैं
जिनमें हर रोज़ डालना होता है
कुछ अंश स्नेह का !
....
आभार आपका इस प्रस्तुति के लिए
सादर
बेकाम रिश्ते बोझिल होते हैं
जवाब देंहटाएंबोझिल ज़िंदगी आखिर कब तक.... ?
शुभकामनायें !!
कुछ रिश्ते होते हैं...
जवाब देंहटाएंइतने जरुरी जितने कि...
नदी के लिए पानी...
कलम के लिए कागज...
और फिर उन रिश्तों के,
होने से ही हम होते हैं...
bahut sundar links rishton par ....
बहुत सुन्दर रचनाएँ...
जवाब देंहटाएंडा जेनी सबनम जी ने तो बड़ी खूबसूरती से हर रिश्ते को उसके सही अंजाम तक पहुंचा दिया है. बहुत खूब -सदा जी और मन्टू जी,राजेंद्र जी का रिश्तों की परिभाषाएं भी अनूठी है.---सभी सुन्दर है
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट ; "जागो कुम्भ कर्णों"
रिश्तों की व्याख्या बहुत सुन्दर लगी..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बहुत सुन्दर...
रिश्तों की जमीन पर रिश्तों का संग्रह
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनायें-------सभी रचनाकारों को बधाई
रिश्तों की व्याख्या करती हुई सभी रचनाएँ उम्दा.
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए बहुत आभारी हूँ..
सादर |
रिश्तों के सभी आयाम यहाँ हैं, अपने मनोभाव के अनुसार एक या कईयों को आत्मसात कर लेना है. रिश्तों पर एक साथ कई रचना पढना बहुत अच्छा लगा. सदा जी, मंटू जी और राजेन्द्र जी को हार्दिक बधाई. आप सभी का स्नेह और सम्मान मेरी रचना (रिश्ते) की उपलब्धि है. मुझे यहाँ शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया. नव वर्ष मंगलमय हो!
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