उत्सुकता बनी रहे इसके लिए मध्यांतर ज़रूरी था .... तो मध्यांतर ख़त्म , चाय की तरोताजगी के बाद पढ़िए आगे =
2012 में इस दुनिया के अंत की संभावना हकीकत है या भ्रम ??(तीसरी कडी)
दिसंबर 2012 में पृथ्वी पर प्रलय आने की संभावना को प्रमाणित करते एक दो नहीं , बहुत सारे सुबूत जुटाए गए हैं। यही कारण है कि अपने पहले और दूसरे आलेख के बाद इस तीसरे आलेख में भी मैं सारी बातें समेट नहीं पा रही हूं। दुनिया के नष्ट होने की संभावना में एक बडी बात यह भी आ रही है कि ऐसा संभवतः पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव बदलने के कारण होगा। वास्तव में हमलोग सूर्य की सिर्फ दैनिक और वार्षिक गति के बारे में जानते हैं , जबकि इसके अलावे भी सूर्य की कई गतियां हैं। सूर्य की तीसरी गति के अनुसार पृथ्वी क्रमश: अपनी धुरी पर भी झुकते हुए घूमती रहती है, इस समय पृथ्वी की धुरी सीधे ध्रुव तारे पर है इसलिये ध्रुवतारा हमको घूमता नहीं दिखाई पड़ता है। इस तरह हजारों साल पहले और हजारों साल बाद हमारा ध्रुव तारा परिवर्तित होता रहता है। धीरे धीरे ही सही , झुकते हुए पृथ्वी २५७०० साल में एक बार पूरा घूम जाती है।पर यह अचानक एक दिन में नहीं होता , जैसा भय लोगों को दिखाया जा रहा है। जिस तरह धरती की धुरी पलटने की बात की जा रही है, पर नासा के प्रमुख वैज्ञानिक और ‘आस्क द एस्ट्रोबायलॉजिस्ट’ के चीफ डॉ. डेविड मॉरिसन का कहना है कि ऐसा कभी न तो हुआ है, न ही भविष्य में कभी होगा।
इंटरनेट पर बिना नाम पते वाले कुछ वैज्ञानिकों के हवाले से लिखा जा रहा है कि प्लेनेट एक्स निबिरू नाम का एक ग्रह दिसंबर 2012 में धरती के काफी करीब से गुजरेगा। पर नासा का कहना है कि प्लेनेट एक्स निबिरू नाम के जिस ग्रह की 2012 दिसंबर को धरती से टकराने की बात की जा रही है, उसका कहीं अस्तित्व ही नहीं है। जबकि ये वैज्ञानिक कहते हैं कि यह टक्कर वैसी ही होगी, जैसी उस वक्त हुई थी , जब पृथ्वी से डायनासोर का नामोनिशान मिट गया था। आश्चर्य है , ये वैज्ञानिक डायनासोर का नोमोनिशान मिटने के सटीक कारण भी वे जानते हैं। अब यह कैसा टक्कर था , जो सिर्फ डायनोसोर का ही , और वो भी समूल नाश कर सका। अपने एक वक्तव्य में नासा ने यह स्वीकारा है कि इस समय एक ही लघुग्रह है, एरिस, जो सौरमंडल की बाहरी सीमा के पास की कुइपियर बेल्ट में पड़ता है और आज से 147 साल बाद 2257(ये हिसाब भी मेरी समझ में नहीं आ रहा) में पृथ्वी के कुछ निकट आएगा, तब भी उससे छह अरब चालीस करोड़ किलोमीटर दूर से निकल जाएगा। अब ऐसी स्थिति में दिसंबर 2012 में ऐसी संभावना की बात भी सही नहीं लगती।
इसके अलावे सुनामी, भूकम्प, ज्वालामुखी, ग्लोबल वार्मिग, अकाल, बीमारियां, आतंकवाद, युद्ध की विभीषिका व अणु बम जैसे कारणों से भी प्रलयआने की संभावना व्यक्त की जा रही है। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि फ्रांसीसी भविष्यवक्ता माइकल द नास्त्रेदमस ने भी 2012 में धरती के खत्म होने की भविष्यवाणी की है, पर नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी करने के आधार की मुझे कोई जानकारी नहीं कि उसकी भविष्यवाणियां ग्रहों के आधार पर थी या किसी प्रकार की सिद्धि के बाद। अभी तक घटना के घटित होने से पहले उसकी कितनी भविष्यवाणियां आ चुकी और कितने प्रतिशत सत्यता के साथ , वे तो नास्त्रेदमस के संकेतों को समझने वाले ही कुछ अधिक बता सकते हैं , इसलिए मैं इस विषय पर अधिक नहीं कहना चाहती। इसके अतिरिक्त कुछ कंप्यूटर इंजीनियरों द्वारा एक सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है , जो इंटरनेट के पन्नों पर नजर रखकर उससे संबंधित आंकडों को एकत्रित कर आनेवाले समय के लिए भविष्यवाणी करता है। इस विधि से की गयी भविष्यवाणी ग्रहों के आधार पर की जानेवाली भविष्यवाणियों की तरह सटीक हो ही नहीं सकती इसलिए इसको मैं लॉटरी से अधिक नहीं समझती , जिसके अंधेरे में टटोलकर निकाले गए अच्छे या बुरे परिणाम को स्वीकार करने के लिए हमें बाध्य होना पडता है। ग्रहों के आधार पर की जानेवाली भविष्यवाणी के लिए अंतिम कडी कल ही प्रेषित करनेवाली हूं , इसके लिए आपको अधिक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं पडेगी।
2012 में इस दुनिया के अंत की संभावना हकीकत है या भ्रम ??(चौथी और अंतिम कडी)
कृपया 21 दिसंबर 2012 इस आलेख को पढने से पूर्व इसकी तीनो कडियों को पढें।
जब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की ओर से पृथ्वी के धुर बदलने या किसी प्रकार के ग्रह के टकराने की संभावना से इंकार किया जा रहा है , तो निश्चित तौर पर प्रलय की संभावना सुनामी, भूकम्प, ज्वालामुखी, ग्लोबल वार्मिग,अकाल, बीमारियां, आतंकवाद, युद्ध की विभीषिका व अणु बम जैसी घटनाओं से ही मानी जा सकती है, जिनका कोई निश्चित चक्र न होने से उसके घटने की निश्चित तिथि की जानकारी अभी तक वैज्ञानिकों को नहीं है। पिछले 40 वर्षों से‘गत्यात्मक ज्योतिष’विश्व भर में होनेवाले इन प्राकृतिक या मानवकृत बुरी घटनाओं का ग्रहीय कारण ढूंढता रहा है। बहुत जगहों पर खास ग्रह स्थिति के वक्त दुनिया में कई प्रकार की घटनाएं होती दिख जाती हैं। पर चूंकि पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी की स्थिति एक विंदू से अधिक नहीं , इस कारण घटना की जगह को निर्धारित करने मे हमें अभी तक कठिनाई आ रही है। वैसे इन घटनाओं की तिथियों और समय को निकालने में जिस हद तक हमें सफलता मिल रही है , आनेवाले समय में आक्षांस और देशांतर रेखाओं की सहायता से स्थान की जानकारी भी मिल जाएगी , इसका हमें विश्वास है।
पिछले 16 सितम्बर को मैने एक आलेख ’19 सितंबर की ग्रह स्थिति से … बचके रहना रे बाबा’शीर्षक से एक पोस्ट किया था , जिसमें एक खास ग्रह स्थिति की चर्चा करते हुए मैने लिखा था … ऐसी ही सुखद या दुखद ग्रहीय स्थिति कभी सारे संसार , पूरे देश या कोई खास ग्रुप के लिए किसी जीत या मानवीय उपलब्धि की खुशी तथा प्राकृतिक विपत्ति का कारण बनती है तो कभी प्राकृतिक आपदा , मानवकृत कृत्य या किसी हार का गम एक साथ ही सब महसूस करते हैं। आनेवाले 19 सितम्बर को 5 बजे से 9 बजे सुबह भी आकाश में ग्रहों की ऐसी ही स्थिति बन रही है , जिसका पूरी दुनिया में यत्र तत्र कुछ बुरा प्रभाव महसूस किया जा सकता है। इसका प्रभाव 18 सितम्बर और 20 सितम्बर को भी महसूस किया जा सकता है।
ठीक 20 सितंबर 2009 , रविवार के दिन समाचार पत्र में पढने को मिला कि इण्डोनेशिया के बाली द्वीप में शनिवार यानि 19 सितंबर को सुबह 6.04 बजे भूकम्प के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर 6.4 की तीव्रता वाले इस भूकम्प में नौ लोग घायल हो गए और कई भवन क्षतिग्रस्त हो गए। ठीक मेरे बताए गए दिन ठीक मेरे बताए गए समय में दुनिया के किसी कोने में भी प्राकृतिक आपदा का होना उन सबों को ज्योतिष के प्रति विश्वास जगाने में अवश्य समर्थ होगा, जिनका दिमाग ज्योतिष के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त न हो। पर पूर्वाग्रह से ग्रस्त लोग उस तिथि और समय पर ध्यान न देते हुए अभी भी मुझसे यह मांग कर बैठेंगे कि आपने शहर या देश की चर्चा क्यूं नहीं की। इस प्रश्न का जबाब फिलहाल मेरे पास नहीं , जो मेरे हार मान लेने का एक बडा कारण है।
इस उदाहरण को देकर मैं ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ की ओर आप सबों का ध्यान आकृष्ट करना चाहती हूं , ताकि आप इसकी भविष्यवाणियों पर गौर कर सके। इस सिद्धांत को समझने की कोशिश करते हुए इस टार्च के सहारे आप कुछ कार्यक्रम बना सकें। मेडिकल साइंस ने भी हड्डियों की आंतरिक स्थिति को जानने के लिए पहले एक्सरे को ढूंढा और जब उसे मान्यता मिली , उसपर खर्च हुआ , हजारो हजार लोगों ने रिसर्च करना शुरू किया , तो वे स्कैनिंग जैसी सूक्ष्म व्यवस्था तक पहुंचे , पर ज्योतिष में सबसे पहले ही सूक्ष्मतम बातों की मांग की जाती है, यही हमारे लिए अफसोस जनक है।
कल 6 जनवरी 2010 को भी असमान में ग्रहों की एक महत्वपूर्ण स्थिति बन रही है , यह योग लगभग सभी देशों में 9 बजे रात्रि से लेकर 12 बजे रात्रि तक के आसपास उपस्थित होगा। पर यह सिर्फ भयावह नहीं , इस ग्रहयोग के कारण छोटी बडी ही सही , किसी के समक्ष अच्छी तो किसी के समक्ष बुरी घटना उपस्थित हो सकती है। इस ग्रहयोग का पृथ्वी पर 5 जनवरी और 7 जनवरी को भी प्रभाव देखा जा सकता है। इस योग के कारण इस समय कहीं भी किसी प्रकार की दैवी या मानवकृत आपदा की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अभी तक हमारा आकलन विश्व में कहीं भी को लेकर ही चल रहा था , पर पहली बार देशांतर रेखा के आधार पर 110 डिग्री से 155 डिग्री पू तक पहुंचने की मैने कोशिश की है। आक्षांस रेखा के बारे में अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी हूं , इस कारण इसकी चर्चा नहीं कर सकती , वैसे अनिवार्य नहीं कि कहीं कोई घटना घट ही जाए , पर ऐसे ग्रह योगों में कुछ कुछ घटनाओं के होने से ‘गत्यात्मक ज्योतिष‘ के सिद्धांत के अनुसार कुछ आशंका तो दिख ही रही है।
पूरे विश्व में प्रसारित 21 दिसंबर 2012 के प्रलय की संभावना के पक्ष में इतने सारे तर्क को देखते हुए इस दिन की ग्रह स्थिति का मैने गंभीरतापूर्वक अध्ययन किया। उस दिन की ग्रहीय स्थिति मानव मन के बिल्कुल मनोनुकूल दिख रही है। एक बृहस्पति को छोडकर बाकी सभी ग्रह गत्यात्मक शक्ति से संपन्न दिखाई दे रहे हैं , जो जनसंख्या के बडे प्रतिशत को किसी भी प्रकार का तनाव दे पाने में असमर्थ हैं। बृहस्पति की स्थिति कमजोर होते हुए भी इतनी बुरी नहीं कि वो प्रलय की कोई भी संभावना की पुष्टि करे, उस प्रलय से बचे दस, सौ , हजार, लाख या कुछ करोड व्यक्ति दुनिया को देखकर दुखी हों। इसका कारण यह है कि सुनामी, भूकम्प, ज्वालामुखी, ग्लोबल वार्मिग,अकाल, बीमारियां, आतंकवाद, युद्ध की विभीषिका या अणु बम के लिए जबाबदेह जो भी ग्रहस्थिति हमें अभी तक दिखाई पडी, उसमें से एक भी उस दिन मौजूद नहीं है , जैसे योग में जानेवाले तो चले जाते हैं , पर जीनेवाले गम में होते हैं, और यही कारण है कि उस दिन हमें ऐसी प्रलय की भी कोई संभावना नहीं दिखती।
आप सबों को मालूम हेगा कि ग्रहों की प्रतिदिन की स्थिति को जानने के लिए हमलोग पंचांग का उपयोग करते हैं। फिलहाल मेरे पास जो पंचांग उपलब्ध हैं , उनमें 1890 से लेकर 2010 तक की सारे ग्रहों की प्रतिदिन की स्थिति मौजूद है , पर अभी तक 2011 के बाद का पंचांग उपलब्ध नहीं हो पाया है। 21 दिसंबर 2012 की गणना यानि एक दिन की ग्रहस्थिति ही मैने बहुत मेहनत से निकाली है , 2012 के बाकी 365 दिनों की ग्रहों की स्थिति पर अभी तक गौर नहीं कर सकी हूं , इसलिए उस पूरे वर्ष के बारे में मैं अभी कोई संभावना व्यक्त नहीं कर सकती। जैसे ही नया पंचांग उपलब्ध हो जाएगा , मैं 2012 के वर्षभर की ग्रहदशा पर गौर करते हुए पूरे विश्व में होने वाली प्राकृतिक आपदा या मानवकृत आपदाओं से संबंधित घटनाओं की चर्चा करने की कोशिश करूंगी , लेकिन वो निश्चित तौर पर छोटी मोटी ही घटना होगी। क्यूंकि ‘गत्यात्मक ज्योतिष‘ आज तक ग्रंथों में लिखी या अपने द्वारा प्रतिपादित उन्हीं सिद्धांतों को सच मानता आया है , जो उसके प्रयोग , परीक्षण के दौर से बारंबार गुजरी हो और अपनी सत्यता को प्रमाणित कर चुकी हो। एक ऐसा प्रलय, जिसमें सारे के सारे व्यक्ति मर जाएं, वैसा कभी हुआ ही नहीं और ऐसी किसी बात को हमने जांचा ही नहीं तो भला वैसी भविष्यवाणी मैं कैसे कर सकती हूं ??
मनु और श्रद्धा रह ही जायेंगे .... कौन मनु,कौन श्रद्धा = इसकी भविष्यवाणी नहीं हो सकती ....
कई और प्रस्तुतियाँ अभी शेष हैं जिससे मैं परिचित करवाऊँ उससे पहले मिलवाती हूँ आपको आज के उत्सव के मुख्य अतिथि सदी की अत्यंत वहुचर्चित फिल्म नदिया के पार की मशहूर अभिनेत्री साधना सिंह से । परिकल्पना ब्लोगोत्सव पर उनसे बातचीत करने जा रहे हैं रविराज पटेल .......यहाँ किलिक करें
21 दिसंबर को कुछ नहीं होगा
जवाब देंहटाएं21 दिसंबर को कुछ नहीं होगा
जवाब देंहटाएंmain Manu aur Shraddha kaun??:)
जवाब देंहटाएंbahut behtareen aaalekh:)
जानकारियों से भरा बढ़िया आलेख ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक एवं सशक्त प्रस्तुति .. आभार आपका
जवाब देंहटाएंसादर
सार्थक आलेख....सब ठीक रहेगा...
जवाब देंहटाएंUMMEED HAI SAB THEEK RAHEGA ...
जवाब देंहटाएंसार्थक आलेख संगीता जी का
भ्रांतियाँ दूर करता सार्थक आलेख
जवाब देंहटाएंअतीव महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुईं ।आश्चर्य पर आश्चर्य !इन्सान कितना आगे बढ़ गया है कि प्रकृति के रहस्य भी उजागर कर देता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत गहराई तक की गयीं भौगोलिक गणनाएं |
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पढ़कर |
सादर
Nice blog and good information shared here.
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