अनीता अग्रवाल अपने शब्दों में = एक साधारण महिला, जो जियो और जीने दो में विश्वास रखती है. रिश्ते-नाते व मित्रता का महत्व जानती है. जिसे बारिश, गुलाब, समुंदर, पहाड़ी नदी, पहाड़, बदली, उगता व डूबता सूरज,निश्छल बच्चे की मुस्कान और भी ना जाने क्या-क्या आकर्षित करता है. परन्तु परिवार से बढ़ कर कुछ नहीं ... '

जहाँ परिवार के अर्थ गहरे हों वहां शब्दों के अर्थ उसीके इर्द गिर्द होते हैं .... दर्द भी उसी से खुशियाँ तो उसी से 







अब विदा लेने का समय आ गया है  और एक प्रस्तुति अभी शेष है । इसलिए मुझे अनुमति दीजिये ताकि कल के आरंभ को सहेज सकूँ , मगर आप वटवृक्ष की इस प्रस्तुति को महसूस किए बिना कहीं मत जाईएगा । हाजिर है .........प्रस्तुत है : मीनाक्षी पंत की कविता : जीवन का अर्थ 

9 comments:

  1. वाह ... बेहतरीन प्रस्‍तु‍ति

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  2. जीवन से जुड़ी ...गहन एवं उत्कृष्ट रचनाएँ ....

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  3. सभी कवितायें बहुत सुन्दर , "जीवन कैसा होता है"विशेष पसंद आयी | जीवन की तरह अरह की उपमाएं अनुपम थीं |
    कविताओं की प्रस्तुति का ढंग भी बहुत अच्छा था |

    सादर

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