अनीता अग्रवाल अपने शब्दों में = एक साधारण महिला, जो जियो और जीने दो में विश्वास रखती है. रिश्ते-नाते व मित्रता का महत्व जानती है. जिसे बारिश, गुलाब, समुंदर, पहाड़ी नदी, पहाड़, बदली, उगता व डूबता सूरज,निश्छल बच्चे की मुस्कान और भी ना जाने क्या-क्या आकर्षित करता है. परन्तु परिवार से बढ़ कर कुछ नहीं ... '
जहाँ परिवार के अर्थ गहरे हों वहां शब्दों के अर्थ उसीके इर्द गिर्द होते हैं .... दर्द भी उसी से खुशियाँ तो उसी से
अब विदा लेने का समय आ गया है और एक प्रस्तुति अभी शेष है । इसलिए मुझे अनुमति दीजिये ताकि कल के आरंभ को सहेज सकूँ , मगर आप वटवृक्ष की इस प्रस्तुति को महसूस किए बिना कहीं मत जाईएगा । हाजिर है .........प्रस्तुत है : मीनाक्षी पंत की कविता : जीवन का अर्थ
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजीवन से जुड़ी ...गहन एवं उत्कृष्ट रचनाएँ ....
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti . aabhar !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी कवितायें बहुत सुन्दर , "जीवन कैसा होता है"विशेष पसंद आयी | जीवन की तरह अरह की उपमाएं अनुपम थीं |
जवाब देंहटाएंकविताओं की प्रस्तुति का ढंग भी बहुत अच्छा था |
सादर
सुंदर प्रस्तुति .... सार्थक चयन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसार्थक सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
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