अक्सर आखिरी जुमला होता है - 'ताली एक हाथ से नहीं बजती ...' इस जुमले के पीछे किसी भी घटना से पलायन है या बुद्धिजीवी आवरण ! ताली तो एक हाथ से नहीं बजती, पर एक हाथ और टेबल का साथ तो होता है न ... या फिर अपने ही पैर के उपरी हिस्से पर या पेट पर वीभत्स ढंग के ठहाके के साथ ताली पीटना होता है न !!!......................... ज़िन्दगी क्या नहीं दिखाती,फिर भी दूसरों की बात पर आसानी से यह कहते नहीं चूकते लोग ! :(
वैसे यह भी महत्वपूर्ण है कि ताली में दोनों हाथ अपने होते हैं ....
ANANYA: परवाह(अंजू अनन्या)
अचानक
एक तेज़ रफ्तार
गाड़ी ...
राहगीर को .......
भीड़
इकट्ठा हुई और
गिने जाने लगे दोष ...
और होने लगी
तहकीकात
दोषी की .....
भीड़ में ही
मौजूद था कोई
कवि ....
लिख डाली तुरंत
एक मार्मिक कविता
...............
अगले दिन
दोनों सुर्ख़ियों में थे ....
एक मार्मिक भाव की
नई रचना के लिए ....
और दूसरा
'सडक हादसे ने
ले ली एक और जान ......!!!!
और यूँ ....
रचनायें जन्मती हैं
मरती
है .......
जड़ और चेतन की परवाह
कौन करे ......????
Journey: कैंची Copyright©(अनुपम ध्यानी)
हवायें कैंची लेके उतरी हैं
उड़ पाने की चाह से पहले ही
मंसूबे जकड़ने
घबरा ना ए परिंदे
आसमानों को चीरेंगे तेरे पंख
सातों आसमान है तुझे अभी पार करने
हवाओं को गुस्से से बवंडर होने दे
हवाओं को ईर्षा से साज़िश रचने दे
तेरे परों के फैलाव को ना जाकड़ पाएँगी यक़ीन रखना
हवाओं को ज़हरीले फंदे कसने दे
कैंचियाँ तो उड़ान रोकने के लिए ही होती हैं
तू उड़ान पे ध्यान दे
कैंची की धार तीखी है
पर तू आसमान पे ध्यान दे
अपनी निगाह ऊँची रखना हरदम
अपनी उड़ान सच्ची रखना हरदम
यह हवायें कुछ कर ना पाएँगी
तू अपनी नीयत अच्छी रखना हरदम
ताली एक हाथ से नही बजती
दूरिया दोनो तरफ से नही चाही जाती
पर एक तरफ से बढते हुये देखा हैं
प्यार दोनो करे तो जन्नत का एहसास हैं
इक तरफा हो तो,तडप तडप के मरते देखा हैं .
ताली एक हाथ से नही बजती
मगर मैने बजते हुये देखा हैं
तीखे प्रहारो से छलनी होते हैं मन
तब एक तरफ से ही वज्रपात होते देखा हैं
निरीह को मौन में भी कुचला जाता हैं
वाचाल को सिरमौर बनते देखा हैं .
ताली एक हाथ से नही बजती
मगर मैने बजते हुये देखा हैं
वफा, बे-वफायी दो अलग पह्ळू हैं सिक्के के
मगर आज तक किसी एक को ही पह्ळू बदलते देखा हैं.
ताली एक हाथ से नही बजती
मगर मैने बजते हुये देखा हैं
लम्हों का सफ़र: संगतराश...(जेनी शबनम)
बोलो संगतराश
कैसे सवाल उगे हैं तुममें?
अपने जवाब के अनुरूप ही तो
बुत तराशते हो तुम
और बुत को
एक दिल भी थमा देते हो
ताकि जीवंत दिखे तुम्हें,
पिंजड़े में कैद
तड़फड़ाते पंछी की तरह
जिसे सबूत देना है
कि वो सांसें भर सकता है
लेकिन उसे उड़ने की इजाज़त नहीं है
और न सोचने की,
संगतराश, तुम
बुत में अपनी कल्पनाएँ गढते हो
चेहरे के भाव में अपने भाव मढते हो
अपनी पीड़ा उसमें उड़ेल देते हो
न एक शिरा ज्यादा
न एक बूँद आँसू कम
तुम बहुत हुनरमंद शिल्पकार हो,
कला की निशानी
जो रोज़-रोज़ तुम रचते हो
अपने तहखाने में सजा कर रख देते हो
जिसके जिस्म की हरकतों में
सवाल नहीं उपजते हैं
क्योंकि सवाल दागने वाले बुत तुम्हें पसंद नहीं,
तमाम बुत
तुम्हारी इच्छा से आकार लेते हैं
और तुम्हारी सोच से भंगिमाएँ बदलते हैं
और बस तुम्हारे इशारे को पहचानते हैं,
ओ संगतराश
कुछ ऐसे बुत भी बनाओ
पानी को मुट्ठी में समेट ले
हवा का रुख मोड़ दे
और ऐसे-ऐसे सवालों के जवाब ढूंढ लाये
जिसे ऋषि मुनियों ने भी न सोचा हो
न किसी धर्म ग्रन्थ में चर्चा हो,
अपनी क्षमता दिखाओ संगतराश
गढ़ दो
आज की दुनिया के लिए
कुछ इंसानी बुत !
अब आइये चलते हैं परिकल्पना ब्लागोत्सव के मंच पर जहां बीनू भटनागर केरल की कथा सुना रही हैं ....यहाँ किलिक करें
मैं मिलती हूँ एक मध्यांतर के बाद ।
अब आइये चलते हैं परिकल्पना ब्लागोत्सव के मंच पर जहां बीनू भटनागर केरल की कथा सुना रही हैं ....यहाँ किलिक करें
मैं मिलती हूँ एक मध्यांतर के बाद ।
बेहतरीन रचनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति ..आभार
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंताली एक हाथ से बजाने के पचासों तरीके हैं , फिर भी ये मुहावरा प्रचलित है | सभी रचनाएँ पसंद आयीं |
जवाब देंहटाएंअंजू जी की बात से पूर्णतः सहमत हूँ |
सादर
हमेशा की तरह भावपूर्ण चयन .....और मेरी छोटी सी बात को जगह देने के लिए आभार ....शुक्रिया दी ..!
जवाब देंहटाएंkshama prarthi hun dairy se pahunchne k liye. school k salana karykromo me vyast thi isliye yaha aane me dairy hui. aapki tez nazar samudr me se kaisi adbhut moti dhoondh lati hai,aashchary chakit hun.
जवाब देंहटाएंbahut acchhi rachnaayen prastut ki.
meri rachna ko yahan samman dene k liye aabhari hun.