मैं समय हूँ !
आज लेकर उपस्थित हूँ
एक और परिचर्चा : इमरोज के बारे में
जी हाँ वही इमरोज, जिन्होंने प्रेम की एक नयी परिभाषा गढ़ी , जिन्होंने दिए मेरे  दस्तावेज को अनगिनत रचनाएँ और उकेरे वर्त्तमान के पन्नों पर  श्रेष्ठ चित्र ....!
इस परिचर्चा को आयोजित किया है कवियित्री रश्मि प्रभा ने !
तो चलिए चलते हैं रश्मि के पास और देखते हैं कि आज वो हमें किन-किन चिट्ठाकारों से मिलवाती हैं ?
================================================================



'इमरोज़' ... इस नाम को लिखने के बाद, इस नाम को बोलने के बाद सबकुछ पूर्ण होता है , अधूरा कुछ भी नहीं रहता .


पर ख्वाहिशों का क्या है ! चाहती है कुछ कहना, बस कहते जाना.........इमरोज़ का अर्थ जो हो , पर मेरी दृष्टि में

इसका अर्थ है 'प्यार' और प्यार बचपन से मेरे लिए एक इबादत रही .... और खुदा से बढकर क्या है ! इमरोज़ को खुदा

कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी , और खुदा सबके लिए है-हर जगह,हर समय .

तो आज ' सिर्फ इमरोज़ के नाम ' कुछ हम कहें, कुछ तुम , कुछ ये, कुछ वो, और कर दें आज को समर्पित प्यार के नाम !
मैं शब्द हूँ
वह अमृता
तुम इमरोज़.......
सफ़र के लिए
यह काफी है !
(१)

चातक बनी मैं
तुम्हें सुनती रही
पलकें टिकाये तलाशती रही
एक बूंद स्वाति की तलाश
सीपी में बन्द मोतियों की सौगात बन गयी
ईश्वर ने तुम्हें ज़मीं पर उतारा
और मेरे अन्दर अमृता रख गया
हाँ तभी तो
हर बार तुम नज़्म बन आते हो
और अपने ख़्वाबों की धरती
मेरे नाम लिख जाते हो !
----------------------------------------------------------
(२)

ख्वाहिशें प्रबल हों
तो हकीकत मुस्कान बनती है
मेरे पास शब्द थे
वे शब्द
अक्सर करवट ले
अमृता इमरोज़ को देखते-
शब्द और कला का अद्वैत सम्बन्ध !
मेरे शब्दों में
इस सम्बन्ध की एक उजास तो थी
पर शब्द हीरे बन जायेंगे-
ये सोचा न था .....
मेरे छोटे से घर में
उनकी रूह ने पनाह ली
अमृता मेरी कलम में उतर गईं
और इमरोज़
मेरे पास कैनवास लिए
उस कलम को रेखांकित कर रहे हैं !
(३)
तुम वो नहीं जो सब जानते हैं
तुम वो हो जो मैंने जाना है
तुमने कैनवास पर रंग भरे
पर कुछ सांचे खाली रहे
चलो आज उसमें उन ख़्वाबों को भर दो
जो तुम्हारी आँखों में उगते रहे
और सोते रहे
 
 
 
रश्मि प्रभा
http://lifeteacheseverything.blogspot.com/







=========================================================================
परिचर्चा जारी है आगे बढूँ इससे पहले आईये चलते है कार्यक्रम स्थल की ओर जहां सुमन जी मिलवाने जा रहे हैं देश की सर्वाधिक लोकप्रिय महिलाओं में से एक अमरजीत कौर से .....यहाँ किलिक करें
===========================================================================
उत्सव जारी है मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद

11 comments:

  1. बहुत खूबसूरत एहसास...सांचों में ख़्वाबों का भरना..बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  2. 'प्यार' और प्यार बचपन से मेरे लिए एक इबादत रही ....
    मैं शब्द हूँ
    वह अमृता
    तुम इमरोज़.......
    सफ़र के लिए
    यह काफी है !
    .... Achha pyarbhara saath mil jaane par koi safar kitna suhawana ho jaata hai.. iski sundar bhavpurn prastuti ke liye dhanyavaad.

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम और समर्पण की पूर्ण परिभाषा है- इमरोज़.
    रश्मि जी, आपने अनुभूतियों को एक सहज अभिव्यक्ति प्रदान कि है ....

    शुभकामनाएँ...

    जवाब देंहटाएं
  4. sach kaha - jo nazar aata hai aksar sacchai us se pare hoti hai..!
    Imroz ji - yaane divine love... sach kaha inke pyaar main khuda basta hai...!

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहद सुन्दर एहसास के साथ आपने प्रस्तुत किया है! अच्छा लगा!

    जवाब देंहटाएं
  6. Imroj ke liye kya kahen, wo to hamare shabdo se upar ki baat hain..........!!

    wo sach me pyar ke synonyms hain.....:)

    जवाब देंहटाएं
  7. प्यार के इन खामोश शब्दों की अभिव्यक्ती के लिए कुछ लिख पाना असंभव है ..इन मूक क्षणों में पीढ़ियों को प्राण देने की क्षमता है ..एक अथाह समन्दर ..अथाह गहराई ..शाश्वत क्षण ..

    जवाब देंहटाएं
  8. सांचों के खालीपन को भरते सुन्दर एहसास ...!!

    जवाब देंहटाएं
  9. bahut hi umda............ agar imroz na hote to amrita ki lekhni mai shayad itni maturity bhi na nn aa pati samay k sath .......... kisi k pyar ko apna pyar banakar samhalna .... aajkal ke bachcho k liy misal hai.............

    जवाब देंहटाएं
  10. इस तरह प्रेम को मुखरित करना ...
    अद्भुत काम किया है आपने ...
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

 
Top