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आपका परिकल्पना पर.... हमारे साथ  लगातार बने हुए हैं देश के प्रख्यात चित्रकार डॉ.डी.डी.सोनी....आईये - उसी कड़ी को आगे बढाते हुए चलते हैं और उनसे कुछ प्रश्नों के जवाब लेते है।



अभी भारत में चित्र कला को लेकर विवाद काफ़ी गहराता जा रहा है। प्रख्यात चि्त्रकार एम एफ़ हुसैन ने हिंदु देवी देवताओं का नग्न चित्रण किया है तथा उनके एक चित्र में भारत के मानचित्र को एक नग्न महिला का रुप दिया गया है। क्या इस तरह की चित्रकारी सही है? मैं आपका मंतव्य जानना चाहता हूँ ।

मकबुल फ़िदा हुसैन साहब के साथ मैने काम किया है, जब ग्वालियर मेला भरता था, तब मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला है, निश्चित तौर पर वे महान चित्रकार हैं, आज वे बहुत ही उंचे मुकाम पर हैं, मै उन्हे नमन करता हुँ। जब चित्रकार चित्रांकन करता है तो वह किसी जाति धर्म या पंथ से जुड़ा हुआ नही होता, वह सिर्फ़ एक कलाकार है, अपना सृजन करता है। चुंकि वे मुसलमान हैं इसलिए बात ज्यादा उठी, लेकिन इसे कम किया जा सकता या इसे इतना उभारना नही चाहिए था। इसमें संशय है कि क्या यह काम जानबुझ कर किया गया? अगर जानबुझ कर किया गया तो गलत है, कलाकार को स्वतंत्रता होती है पर ये स्वतंत्रता नही होती कि किसी के आराध्य देव की पेंटिंग्स में न्युड बनाया जाए।

मनुष्य के जीवन में कई पड़ाव आते हैं,रंग जीवन में अद्भुत छटा बिखेरते हैं, जो दृश्य हम देखते हैं उसे अपने काम का विषय बनाते हैं किसी ने कहा है कि--चित्रकार कवि चोर की गति है एक समान, दिल की चोरी चित्रकार कवि करे लुटे चोर मकान", तो कभी आपने किसी का दिल चुराया या किसी ने आप पर अपना दिल न्योछावर किया? ये बताएं?

 ऐसी घटनाएं कलाकारों के साथ घटित आम बात है, कोई हमारा काम देखकर आनंदित हो जाता है, स्टेज पर आकर गले लग जाता है, कोई चूम ले्ता है, कोई उत्साहित होकर कंधों पर उठा लेता है, तो सोचना पड़ता है कि ईश्वर की हम पर विशेष कृपा रही है, कई बार तो मेरी पत्नी के सामने ही ऐसी घटनाएं हो गयी हैं लेकिन समझदार पत्नी मिलने के कारण गृहस्थी बनी रही। चाहे किसी भी क्षेत्र का कलाकार हो, उसके लिए यह सब साधारण सी बातें हैं।

मैं एक बात पुछना भुल रहा था कि हुसैन साहब की पेंटिंग्स में घोड़े बहुत दौड़ते हैं, मैने फ़्रायड का मनोविज्ञान भी पढा है, वे इस पर अपना दृष्टिकोण रखते हैं। लेकिन हुसैन साहब घोड़ों के रुप में क्या प्रदर्शित करना चाहते हैं? इस विषय पर कुछ प्रकाश डालें।

 चित्रकारी के प्रारंभिक दिनों में मुझे इसकी समझ नही थी, लेकिन जैसे जैसे चित्रकारी में डूबता गया तो सब समझ आने लगा। इस विषय पर मै हसैन साहब की तारीफ़ करुंगा कि उन्होंने चित्रकारी में घोड़ों का प्रयोग किया। पावर शेर, चीते, लैपर्ड,गेंडे तथा अन्य जानवरों में भी होता है। लेकिन वह हिंसा के लिए होता है। घोड़ा एक समझदार और खुबसूरत जानवर है, जो अपने पावर का उपयोग बड़ी खु्बसुरती से करता है, इसके नाम से बल का नामकरण हार्स पावर कि्या गया। यह संतुलित रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है। यह सेक्स का सबसे बड़ा खुबसूरत प्रतीक है, धनवान हो, निर्धन हो या विद्वान हो, अगर उसमें सेक्स पावर नही है तो अपनी ही निगाहों से गिर जाता है। इसीलिए हम सेक्स पावर को दिखाने लिए खु्बसूरती से घो्ड़ों का उपयोग करते हैं। हुसैन साहब ने घोड़ों के रुप में एक बहुत ही अच्छा माध्यम चु्ना पेंटिंग के लिए सेक्स पावर को प्रदर्शित करने के लिए।
आपके जीवन में कोई ऐसी घटना घटी हो जो आपको आज तक गुदगुदाती हो या चेहरे पर हंसी लाती हो। यदि ऐसा कुछ संस्मरण है तो बताएं

यह घटना भी हमारे हार्स पावर से जुड़ी हुई है हमारे मामाजी दुकान करते थे और बाजारों में जाकर सामान बेचते थे। एक दिन उन्होनें मुझे कहा कि आज तुमको घोड़े पर बैठ जाओ मैं मोटर सायकिल से आ जाउंगा। पहाड़ी पगडंडी थी जिस पर हमें जाना था, मुझे घोड़े पर बैठा दिया गया और हम चल पड़े, रास्ते में बहुत से लोग बाजार जाते हुए मिले कुछ लड़कियाँ भी बाजार जा रही थी। मेरे को चिल्ला रही थी मुन्ना ओ मुन्ना तुम अकेले ही घोड़े पर जा रहे हो, तभी अचानक ही सामने गड्ढा आया और उसमें घोड़े का पैर धंस गया। जैसे ही घो्ड़े का पैर धंसा, मेरी तो समझ में नही आया क्या हुआ लेकिन मैं घो्ड़े के उपर से उछल कर उसके सामने जा खड़ा हुआ। लोगों की भीड़ लग चुकी घोडा चोटिल हो गया था. उसके पैर को खींच कर निकाला गया. उससे खून निकल रहा था. मैंने एक मिटटी लगा कर उसे बाँधा और दुकान में पहुंचा. मेरे पहुँचने से पहले ही खबर लग गई थी. मेरी बहादुरी के किस्से पहुँच चुके थे कि क्या तुम्हारे भानजे ने घोड़े पर से छलांग लगाई है कि मत पूछो? जब कि मुझे मालूम है कि सब कुछ स्वत: घट गया था. उस दिन मामाजी ने भी शाबाशी दी कि दुर्घटना होने के बाद कीमती समान को घोड़े के साथ लेकर आ गया. उस दिन मुझे लगा कि मैं हीरो बन गया हूँ. इस घटना की याद आते ही आज भी मन प्रसन्न हो जाता है.

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बातचीत का यह क्रम हम जारी रखेंगे आगे भी, किन्तु उससे पहले आईये चलते हैं कार्यक्रम स्थल की ओर जहां सर्बत एम. जमाल साहब उपस्थित हैं अपनी पांच ग़ज़लों के साथ .....यहाँ किलिक करें
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यह उत्सव लगातार जारी है मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद

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