देश की मौजूदा स्थिति ,

२ अक्तूबर को सोचकर चला था कि चलता हूँ अपनों के बीच, पर आकर जो हाल देखा- तो,ह्रदय तार-तार हो गया ! जगह-जगह मेरी तस्वीर लगा, धूप, अगरु जला, मुझे फूलों से ढँक दिया है, साथ ही ढँक दिया है मेरे अस्तित्व को ! पंचसितारा होटलों से निकलकर, डिजाइनर कपडों में सजे नेता जनता को सुनहरे भविष्य का सपना दिखा रहे हैं.........................मैं भाषण को प्रभावशाली बनाने का नुस्खा बन गया हूँ-

" बापू के बताये मार्ग पर चलकर ही हम नए भारत का निर्माण कर पाएंगे !”

जो सत्ता में है वह मुस्कुरा रहा है, जो नहीं है वह गुर्रा रहा है - अन्यायी लहू की अंतिम बूंद तक न्याय की लड़ाई लड़ने की दुहाई दे रहा है.! सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह की धज्जी उड़ा चुके दुराग्रहियों से मैं क्या आग्रह करूँ कि - देश के लिए कुछ कर जाओ ! नहीं- मैं ऐसा नहीं कर सकता !

मगर इस विपरीत परिस्थिति में भी मैं निराश नहीं हूँ, उम्मीदों से भरा हूँ, कि आज नहीं तो कल.....कोई नन्हीं चिंगारी आग बनेगी, जला डालेगी कूड़े का ढेर और देश के नव निर्माण का श्री गणेश करेगी !

बापू




-मंजू श्री



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मंजू श्री के विचारों के बाद आईये चलते हैं कार्यक्रम स्थल की ओर जहां रश्मि रबीजा उपस्थित हैं अपनी एक प्यारी सी कहानी : होठों से आँखों तक का सफ़र लेकर .....यहाँ किलिक करें    
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जारी है उत्सव, मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद 

6 comments:

  1. विचार अत्यंत ही सारगर्भीत है , आभार !

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  2. गाँधी के दर्द को बाखूबी वायान करने हेतु संगीता जी को कॉटिश: आभार !

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  3. जो सत्ता में है वह मुस्कुरा रहा है, जो नहीं है वह गुर्रा रहा है - अन्यायी लहू की अंतिम बूंद तक न्याय की लड़ाई लड़ने की दुहाई दे रहा है.! सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह की धज्जी उड़ा चुके दुराग्रहियों से मैं क्या आग्रह करूँ कि - देश के लिए कुछ कर जाओ ! नहीं- मैं ऐसा नहीं कर सकता !

    बहुत सही बात कही है....यही कर रहे हैं हमारे देश के कर्णधार

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  4. बापू के सपने बिखरे ...मगर उम्मीद कायम है ...
    अच्छी प्रस्तुति ...!!

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  5. ये तो होना ही है, गाँधी ने सत्ता कब चाही थी, वे तो एक सुन्दर सपनों का भारत बसाना चाहते थे ,किन्तु इन गद्दारों ने तो गाँधी के भारत के सपनों को ही बेच दिया. अब तो सिर्फ अपने और अपने सपनों को पूरा करने के रास्ते खोजा करतेहैं.

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