मैं समय हूँ !
आज उपस्थित हूँ पुन:
परिकल्पना पर ब्लोगोत्सव-२०१० के
बारहवें दिन के -
प्रभामंडल को महसूस करने और कराने  हेतु
आज क्रान्ति दिवस है यानी आज ही के दिन स्वतन्त्रता का शंखनाद हुआ
और कई चरणों से गुजरते हुए आखिरकार हमें आजादी की सांस प्राप्त हुई !
आज ब्लोगोत्सव में मैं आपको समय-समय पर ले चलूँगा, किन्तु -
आज के इस विशेष अवसर हेतु तैयार किये गए  हैं -
कुछ महत्वपूर्ण विचारकों/चिट्ठाकारों की राय के आधार पर
बापू का पत्र... जिन्हें नाज है हिंद पर, उनके नाम ...!
भाई अपने हिंद पर किसे नाज नहीं है ?
तो आईये आगे के कार्यक्रम को आगे बढाते हुए
और क्या है बापू के इस पत्र में -
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मेरे प्रिय बच्चों,

आज़ादी मिले ६२ वर्ष बीत गए, फिर भी देश और देशवासियों की जो स्थिति होनी चाहिए थी, वो नहीं है. इसलिए आज मैं तुम्हारा ध्यान देश की विकराल समस्या पर दिलाना चाहता हूँ , क्योंकि देश की बागडोर तुम्हारे हाथ में है. तुम युवा पीढी ही देश की तकदीर बदल सकते हो, इतनी क्षमता है तुममें .

विकराल समस्या का दानव है- भ्रष्टाचार,जो हर क्षेत्र में, हर कदम पर अपनी जड़ जमाकर बैठा है. सिर्फ सोचने और चंद शब्द कह देने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा. इसके लिए नैतिक बल और दृढ संकल्प की ज़रूरत है- जो तुमलोगों के पास है. तुम अगर चाह लोगे तो तुम्हारे मनोबल और प्रयत्न से एक दिन अपना देश भ्रष्टाचार रहित होकर रहेगा. वचन दो कि तुमलोग यह कर दिखाओगे .

प्यार और शुभकामनाओं के साथ ,
तुम्हारे बापू .





सरस्वती प्रसाद


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इस कार्यक्रम को मैं आगे बढ़ाऊंगा अब अगले चरण में ....उससे पहले चले चलते हैं कार्यक्रम स्थल की ओर जहां लोक संघर्ष पत्रिका के ब्यूरो चीफ मुकेश चन्द्र बातचित करने के लिए उपस्थित हैं हिंदी ब्यंग्य की तीसरी पीढ़ी के बहुचर्चित व्यंग्यकार श्री प्रेम जनमेजय से .....यहाँ किलिक करें
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बने रहिये परिकल्पना के साथ ...एक छोटे से विराम के बाद मैं पुन: उपस्थित होऊंगा अन्य सृजनकर्मियों के विचारों से अवगत होने के लिए ...मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद !

3 comments:

  1. बहुत बढिया लागी चर्चा!
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  2. तुम अगर चाह लोगे तो तुम्हारे मनोबल और प्रयत्न से एक दिन अपना देश भ्रष्टाचार रहित होकर रहेगा |

    Sach hai.

    जवाब देंहटाएं

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