एक रिश्ते की तरंगदैर्ध्य*
अमृता - अल्फाज़
इमरोज़ - हर्फ़
अमृता - नज़्म
इमरोज़ - रूह-ए-नज़्म
अमृता - क़लम
इमरोज़ - कागज़
अमृता - कैनवस
इमरोज़ - रंग
अमृता - पानी
इमरोज़- प्यास
अमृता - सफ़र
इमरोज़ - चाल
अमृता - ग्रन्थ
इमरोज़ - सार
अमृता - नमाज़
इमरोज़ - सज़दा
अमृता - इबादत
इमरोज़ - मोहब्बत
औ जहाँ मोहब्बत
वहाँ खुदा
तृप्ति, पवित्रता, प्रकाश
इच्क्षाओं का अंत
अनंत तक रोशन
एक रिश्ते की तरंगदैर्ध्य
दुनिया में उठते.....
उफक के अस्तित्व सरीखे सवाल
अब रहती दुनिया तलक
खोज, शोध, तलाश
अजीब!
अजूबा है
ये दिल भी
दुनिया भी
औ इंसा भी.
--------------प्रिया चित्रांशी
http://priya-priyankasworld.blogspot.com/
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इस परिचर्चा को हम आगे बढ़ाएंगे एक अल्प विराम के बाद , अब आईये चलते हैं कार्यक्रम स्थल की ओर जहां उपस्थित हैं डा. श्याम गुप्त अपने एक गीत के साथ ....यहाँ किलिक करें
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उत्सव जारी है, मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद
प्यार को जिसने शब्द शब्द में पिरोया उसके प्यार के क्या कहने !
जवाब देंहटाएंअमृता जी और इमरोज के बीच अगर साहिर भी आ जाते तो...
जवाब देंहटाएंयह रचनाकार की पसन्द है कि वह किसे बीच में देखना चाहता है और किसे नहीं
वैसे साहिर ने भी कम प्यार नहीं किया था।
आपके ब्लाग पर पहली बार आया हूं लेकिन अच्छा लगा। आते रहना चाहूंगा।
bahut khoob... achchi rachana
जवाब देंहटाएंkya baat hai....
जवाब देंहटाएंsammohit kar leti hain aapki rachnaayein...
is baar bhi bach nahi saka main...
aafareen!