आज की भागादौर भरी जिन्दगी में मनुष्य के लिए टेंशन एक अनिवार्य हिस्सा बनती जा रही , घर हो या दफ्तर या फिर कहीं भी जहा आप अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं टेंशन आपका पीछा नहीं छोड़ता ....कार्यक्रम संपन्नता की ओर अग्रसर हो उससे पहले आईये इस विषय पर कुछ टिप्स दे रही हैं शशि सिंघल कि कैसे आप टेंशन से दूर रह सकते हैं ?



कहते हैं टेंशन लेने की नहीं देने की चीज है । यह जानते हुए भी आज कोई ऎसा व्यक्ति नहीं है जिसकी जिंदगी में टेंशन ने डेरा न जमा रखा हो । यदि यह कहें कि हर दस व्यक्ति में से नौ व्यक्ति टेंशन की गिरफ्त में हैं तो गलत न होगा । आज तनाव [टेंशन ] लोगों के जीवन का सबसे बडा शत्रु बनकर सामने आ गया है । आज हालात यह है कि एक टेंशन खत्म नहीं होती दूसरी पांव पसार लेती है । औरों को तो क्या कहें अब हम छपास के मारों को ही ले लें पहए हर समय टेंशन रहती थी कि अमुक अखबार में उनका आलेख प्रकाशित होग या नहीं । अगर प्रकाशित हुआ भी है तो बहुत कम है जो कि ना के बराबर है । लेकिन आज हिन्दी ब्लॉगिंग ने हमारी इस टेंशन को काफी हद तक दूर करने की कोशिश की है , फिर भी टेंशन है कि जाने का नाम ही नहीं लेती । अब देखो न ब्लॉग पर अपनी बात या आलेख लिखकर हमें इंतजार रहता है कि कितने लोग हमारे ब्लॉग पर आए और अपनी टिप्पणी कर टिपियाये है । हमें इस बात टेंशन रहती कि क्या कुछ करें जिससे हमारे ब्लॉग पर टिपियाने वालो की संख्या दो , चार , सात , पंद्रह , पचास नहीं सैकडो में पहुंचे । भले ही यहां हम कमाई की टेंशन नहीं करते मगर टेंशन रहती है ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपना ब्लॉग पहुंचाने की ।

कहने का मतलब है टेंशन रूपी शत्रु से हमें किसी अन्य के सहारे की नहीं वरन स्वयं अपने को संभालने और नियंत्रित करने की आवश्यकता है । जीवन के सुचारू संचालन के लिए तनाव मुक्त [ टेंशन फ्री ] होना जरूरी है । आप कहेंगे कि ऎसा क्या करें जो हम तनाव से मुक्त रहें आखिर कौन नहीं चाहता तनाव से मुक्त रहना । तो आइये यहां हम कुछ टिप्स दे रहें हैम जो आपको टेंशन फ्री होने में सहायक रहेंगे -----

-टेंशन में घिरने पर कोशिश करें कि जो विषय आपकी टेंशन का कारण है उसे जहन निकालकर किसी अन्य विषय पर ध्यान केन्द्रित  करें ।

- टेंशन के पलों में लंबी व धीमी सांस लें । सांस को कुछ क्षण सीने में रोके रहें और फिर धीमी गति से बाहर छोडें । इस प्रक्रिया को करने में नाक का प्रयोग करें ।

- खुला ठहाका मारें जो बडे से बडे तनाव को कम करता है ।

- रोजमर्रा के काम से निपटने के बाद ठंडा जल या फलों का रस पीएं । इसके बाद दस मिनट तक किसी शांत स्थान पर आंखें मूंदकर बैठें ।

- तनाव से निपटने के लिए खुद से बातें करें । जब किसी भी समस्या पर आप अपने से बात करते हैं तो आपके दिमाग में एक से बढकर एक सुझाव आयेंगे और इससे आपको संतुष्टि मिलेगी । भले ही इससे समस्य का समाधान न हो सके मगर आप उस समस्या में घिरने से बच जाएंगे ।

- धीमा व मधुर संगीत तनाव को दूर करने का अच्छा साधन है । अपनी पसंद के गाने , गजलें व भक्ति संगीत सुनना चाहिए । संगीत एक ऎसी अचूक दवा है जो तनाव के साथ अन्य व्याधियों को भी दूर भगाता है ।

- व्यायाम भी तनाव को दूर करता है । व्यायाम व सैर करना स्वास्थ्य , मस्तिष्क के लिए भी लाभदायक है ।

- कामकाज की भागमभाग के बीच अपने लिए थोडा सा समय निकालना बहुत जरूरी है । यह समय बिलकुल खाली हो , इस दौरान आपको कुछ नहीं करना है बस इसका उपयोग अपने व्यक्तित्व के निखार व अपनी रुचियों को बढाने में करें ।

- अगर किसी भी तरह तनाव से बाहर न आ पाएं तो कोशिश करें कि अपने दोस्तों के साथ लोंग ड्राइव पर निकल जाएं । यदि यह संभव न हो तो उनसे फोन पर ही गपशप करके अपना मूड प्रेश करें ।

- विशेषकर हिन्दी ब्लॉगर उक्त स्भी बातों पर ध्यान देते हुए यह भी ध्यान दें कि वे ब्लॉग पर पोस्ट लिखते रहें , टिपियाने वालों की संख्या पर ध्यान न दें। क्योंकि जरूरी नहीं कि जिसने आपकी पोस्ट पढी है वह टिपियाए भी । धैर्य रखें व शांत मन से काम लें



शशि सिंघल
http://www.meraashiyana.blogspot.com/






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शशि सिंघल के बारे में उन्हीं की ज़ुबानी सुनिए क्या कहती हैं शशि -

मैं शशि सिन्घल उत्तर प्रदेश के अपनी लाजवाब व सुन्दर धरोहर के लिए समूचे विश्व में प्रसिद्ध शहर आगरा में पली - बढ़ी हूं । यदि हम आज से पन्द्रह - सोलह बरस पीछे जाएं तो पाएंगे कि उस दुर में लड़कियों का घर से बाहर कदम रखना तो दूर उन्हें ज्यादा पढ़ने लिखने की इजाजत तक न थी । इन विषम परिस्थितियों में मैंने आगरा कॉलेज आगरा से संस्कृत विषय से स्नातकोत्तर की उपाधि ली । मैंने प्रोफेसर बनने की चाहत में इसी विषय से पी एच डी की शुरूआत की । मगर भाग्य को कुछ और मंजूर था मैं अपने एक सहपाठी की सलाह पर पत्रकारिता के क्षेत्र में कूद पडी़ । उस समय आज जैसी कठिन प्रतियोगिता नहीं थी । आगरा में अखबार के दफ्तर में उप - सम्पादक के पद पर कार्य करने वाली पहली महिला थी । उस समय की प्रतिष्ठित साप्ताहिक पत्रिका ’ धर्मयुग ’ ने पत्रकार महिलाओं पर एक परिचर्चा की जिसमे अपने विचार लिखने के लिए मेरे पास भी एक पत्र आया । धर्मयुग में मेरे विचार क्या छपे कि मेरे पास बधाई पत्रों का अंबार लग गया । बस फिए क्या था तब से लेकर आज तक में पत्रकारिता के नशे में चूर हूं की बजाए । वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने के बाद काफी उतार चडा़व आये , कभी मेरी कलम लिख देती तो कभी ब्रेक लग जाता । इधर कुछ समय से ब्लॉगिंग का सुरूर भी छा गया है । समय व टॉपिक के हाथ लगते ही ब्लॉग पर टिपियाने आ जाती हूं ।यानी टेंशन लेने का नहीं जी , देने का ....... शशि सिंघल
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श्रेष्ठ पोस्ट श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत है ब्लॉग पुराण से गगन शर्मा का आलेख रावण का अंतर्द्वंद्व , इसे ब्लॉग उत्सव में शामिल करते हुए अलग से प्रस्तुत किया जा रहा है....यहाँ किलिक करें
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आईये अब कार्यक्रम को संपन्न करते हैं देश के अमर शहीदों को  श्रद्धांजलि देती विवेकानंद पाण्डेय की कविता से ........यहाँ किलिक करें
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इसके साथ हम आज के कार्यक्रम को संपन्न कर रहे हैं , कल अवकाश का दिन है मिलते हैं पुन: दिनांक १९.०५.२०१० को प्रात: ११ बजे परिकल्पना पर ....

5 comments:

  1. शशि जी को बधाई
    टेंशन हम तो बिलकुल नहीं लेंगे .. देंगे जरूर

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  2. लीजिए शशि जी। हमारी टिप्‍पणी की तरफ से तो टेंशनफ्री हो जाइये, हम तो टिप्‍पणी देकर हो गए हैं टेंशनफ्री।

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  3. मैं भी तो यही बात कहती हूँ की पत्रकार कहीं टेंशन लेते हैं ?
    अब देखिये ३ patrkaar मुझे टेंशन देकर खुद चैन की नींद सो रहे हैं
    वैसे हम मान लेते हैं आपकी बात
    भले ही ये बातें आप न अप्लाई करती हों !!!!!!!!!!

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  4. टेंशन काहे की जी...हम तो टिपिया ही देते हैं....:):)

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  5. ये शानदार सिलसिला यूं ही चलता रहे।

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