पुन: स्वागत है आप सभी का परिकल्पना पर . ब्रेक से पहले मैंने आप सभी को आदरणीया सरस्वती जी के विचारों से रूबरू करबाया और अब मैं आपको इसी क्रम में ले चलती हूँ सुश्री नीता कोटेचा और प्रीति मेहता के पास जानने के लिए उनसे कि वे क्या आज के लाईफ स्टाईल से संतुष्ट हैं ?
नीता कोटेचा
http://neeta-myown.blogspot.com/
आज की लाइफ स्टाइल ये है...कि सब अपने अपने काम में व्यस्त है...किसी के पास किसीके लिए वक्त नहीं है...सब अपनी परेशानियों में डूबे हुए हैं ..या फिर अपनी दुनिया में अच्छे से अच्छे रंग भरने में लगे हुए है..पहले लोग दुसरो के लिए जीते थे..आज सिर्फ खुद के लिए.. आज कोम्पुटर ने और मोबाइल ने परायों को करीब ला दिया है और अपनों को दूर कर दिया है...कभी कभी लगता है की अच्छा है कि ये मशीन बना ..अगर यह ना होता तो बहुत सारे लोग बीमार हों जाते..डिप्रेशन के शिकार हो जाते..पर क्या ये होने के बावजूद लोग इस बीमारी के शिकार नहीं है..यहाँ देखा है कि सब लोग प्रेम को तरसते है...शायद मै भी उसीमे से एक हूँ ..पर ऐसा क्यों..हमने कभी अपने बड़ों के मुंह से सुना था कि घर में प्यार ना मिले तो बच्चा बाहर जाता है..तो क्या हम में से बहुत सारे लोगों को प्रेम नहीं मिला..या काम पड़ रहा है..
पता नहीं चल रहा कि हम गलत हैं या सही हैं ॥पर सब कुछ मिलने के बाद भी एक अधूरापन महसूस होता है..लगता है कि सब को खुद की जिन्दगी जीनी है...ना हम उसमे दखलंदाजी कर सकते है..और ना हम उनको सलाह दे सकते है..तो फिर हमारा काम क्या है...और हम भी चुपचाप अपने रास्ते खोजना शुरू करते है..जिससे बाकि लोगो को तकलीफ होती है...तो हम क्या करे।??वापस जिन्दगी एक सवाल बनके खड़ी हों जाती है..कि क्या हम संतुष्ट है??
आज पिज्जा एम्बुलेंस से फास्ट पहुचता है घर … डिस्को, पब्, फास्टफूड, ८० gb का आई - पॉड, N सीरीज़ का मोबाइल, लैपटॉप, ब्रांडेड कपड़े, जूते इत्यादि .... शायद यही पहचान बन गई है आज की... आज के बच्चे “बे-ब्लेड” खेलेंगे, पर “लट्टू” या “गिल्ली - डंडा” नहीं. जगह जगह से फटे कपड़े - फैशन का पर्याय बन जाते है, बडों को प्रणाम करना डाउन मार्केट है. आज उपरी दिखावा ही सब कुछ है .ज़माने के साथ कदम मिलाना अच्छी बात है, पर यह भी देखा जाये कि कदम मिलाते हुए कदम बहक ना जाये …कुछ बाते है जो आज की लाइफ स्टाइल में अच्छी भी है – जैसे कि आज का युवा वर्ग बहुत प्रैक्टिकल है. सकारात्मक है , आगे बढ़ने की चाह है . आज की सोच मर्यादित नहीं रह जाती , उसे कई माध्यमो से लोगो तक आसानी से पहुचाया जा सकता है …इसलिए …. कह सकते है की आज की life style 50% नकारात्मक तो 50% सकारात्मक भी है .
ये रहे प्रीति और नीता के विचार इस दिशा में मैं आगे बढूँ उससे पहले मेरे साथ आप चलिए कार्यक्रम स्थल पर जहां देश दो सुप्रसिद्ध हास्य कवि क्रमश: श्री अरुण जेमनी और आश करण अटल उपस्थित हैं अपनी चर्चित हास्य कविताओं के साथ ....
ये रहे प्रीति और नीता के विचार इस दिशा में मैं आगे बढूँ उससे पहले मेरे साथ आप चलिए कार्यक्रम स्थल पर जहां देश दो सुप्रसिद्ध हास्य कवि क्रमश: श्री अरुण जेमनी और आश करण अटल उपस्थित हैं अपनी चर्चित हास्य कविताओं के साथ ....
() श्री अरुण जेमनी की कविताओं को सुनने के लिए यहाँ किलिक करें
() श्री आश करण अटल की हास्य कविताओं को सुनने के लिए यहाँ किलिक करें
बने रहिये परिकल्पना के साथ.....जारी है उत्सव मिलती हूँ एक अल्प विराम के बाद
प्रीती जी के विचार अच्छे लगे
जवाब देंहटाएंप्रीति जी ने बिलकुल सही चित्र अंकित कर दिया
जवाब देंहटाएंPreeti ki baat bahut hadd tak sahi haibaat kahi......:)
जवाब देंहटाएंlekin ye bhi sach hai, iss life style ko apnane ke babjud aaj ki yuva peedhi ko ye pata hai, unhe ye achieve karna hai........:)
sach kahun, mujhe apne graduation ke classes karte samay tak ye nahi pata tha, ki aage kya ho payega......maine kyon science li..:(
bas padhta chala gaya...bina kisi target ke.......
Lekin aaj ke bachcho ko sayad class 5-6 se hi pata hota hai, ki kuchh unhe karna hoga, nahi to wo kahan rahenge......kah nahi sakte!!
bas!! aaj ki yuva peedhi thori bahut apne sansaakar me bhartiyata ko samet le..........to ham bharatwaseee sach me sabse aage rahenge............har tarah se!!
Preeti u r great!! ur thoughts are also great......:)