आशीर्वचन के दो शब्द
सुना है --- श्यामल आकाश की सौरभमई मिट्टी पर ही कल्पना के कुसुम खिलते हैं,

कोई अज्ञात प्रेरणा मन की बाहें  थामकर चाँद सितारों के गाँव से आगे परीलोक में पहुंचती है . पर यह उत्सवी परिकल्पना ! समय की गतिशील धुरी पर इसने तो त्रिकाल दर्शन करवा दिए . अमिट एवं वन्दनीय चरण चिन्हों की अनुपम झलक दिखाई . 'परिकल्पना' के कल्पक श्री रवीन्द्र प्रभात जी एवं उनके सहयोगियों को जितना भी साधुवाद कहें - कम है . कवितायेँ, कहानियाँ, साक्षात्कार ,.... सब एकसाथ . महादेवी जी के शब्दों में मैं यही कहना चाहूँगी ---

" अनिल घूम देश-देश

लाया प्रिय का सन्देश

मोतियों के सुमन कोष

वार वार री

शुभकामनाओं के प्रोज्ज्वलित दीपों के साथ ,

सरस्वती प्रसाद (पन्त की बेटी)
( आपका आशीर्वचन हमारी सामूहिक स्वप्निल आकांक्षाओं को मजबूती के साथ प्रतिष्ठापित करने में मदद ही नहीं करेगा वल्कि आने वाली हर बिघ्न बाधाओं के सामने ममतामयी आँचल का कबच भी प्रदान करेगा, हम अभिभूत हैं अपनी इस माँ की स्नेहिल छाया पाकर : ब्लोगोत्सव-२०१० टीम )
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................श्रेष्ठ पोस्ट श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत है सारथी पर दिनांक 28.02.2009 को प्रकाशित यह आलेख :नॉल: आईये हिन्दी के लिये कुछ करें — 02

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..... अब हम मिलवाने जा रहे हैं आपको विदेशों में बसे हिंदी के उन्नयन की दिशा में सर्वाधिक सक्रिय हिंदी के प्रहरियों से (2) .....यहाँ किलिक करें
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और अब -

आज के कार्यक्रम को संपन्नता की ओर ले जाने से पूर्व -

() आईये पहले एक ऐसे प्रवासी गज़लकार की ग़ज़ल पढ़ने के लिए कार्यक्रम स्थल की ओर चलते हैं, जिनकी गज़लें समाज और समय का आईना होती है, जिनके एक-एक हर्फ़ को मन की गहराईयों में उतार कर संजो लेने की हमारी अभिलाषा हमें जूनून की हद तक ले जाती है, नाम है दिगंबर नासवा . ये दुबई में रहते है और हिंदी चिट्ठाकारी को समृद्ध कर रहे हैं अपनी रचनाओं से .....यहाँ किलिक करें
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() और अब  शाश्वत है भारतीय संस्कृति और इसकी विरासत...कैसे ? यह जानने के लिए चलिए चलते हैं कार्यक्रम स्थल की ओर .....यहाँ किलिक करें     
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इसी के साथ आज  दिन का कार्यक्रम संपन्न, कल  उत्सव के लिए अवकाश का दिन है, मिलते हैं पुन: दिनांक ०५.०५.२०१० को प्रात: ११ बजे परिकल्पना पर ...तबतक के लिए शुभ विदा !
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5 comments:

  1. आदरणीया सरस्वती जी की टिपण्णी और आशीर्वचन परिकल्पना ब्लॉग उत्सव को आयामित करने के लिए काफी है ....आभार आपका !असंभव को संभव करने का दूसरा नाम है परिकल्पना ब्लॉग उत्सव ....

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  2. sarsvati ji ka honaa ham sabke liye prerak baat hai ek mahaan sahitykaar ki putri ki soch bhi mahaan hai. kam shabdon me unhone jo kuchh kahaa, vah ham sabke liye ''maan'' sarsavati ka prasaad hai

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  3. ब्लॉग उत्सव आशीर्वचन के लिए आभार आपका आदरणीया सरस्वती जी !

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  4. परिकल्पना का यह ब्लागोत्सव अपने आप में इतना अनोखा प्रयोग है कि इसे देख कर बार बात एक बालक के समान किलकारी करने की इच्छा होती है जिसे एक विविध प्रकार के गुलाबों से भरे उद्यान में छोड दिया गया है.

    मेरा अनुमोदन एक बार और स्वीकार करें!

    सस्नेह -- शास्त्री

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.IndianCoins.Org

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  5. परिकल्पना का सौन्दर्य स्वीकृत हो गया है सरस्वती जी के इन आशीर्वचनों से..परिकल्पना सच में किलकने का उत्साह भरती है !

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